________________
अच्छे प्रकार स मेहनत कर ले, तो परीक्षा पास कर लेता है। इसी प्रकार मनुष्य यदि जीवन के अन्त में भी संभल जाये, तो वह अपने जीवन को सफल बना सकता है।
आयु घटत है रात-दिन, ज्यों करोंत से काठ ।
अपना हित जल्दी करो, पड़ा रहेगा ठाठ ।। इस आयु का कोई भरोसा नहीं, अतः जो कुछ करना हो शीघ्र करो और इन क्षमादि धर्मों को धारण कर अपनी आत्मा को पवित्र बनाओ।
उत्तम क्षमा सभी धर्मों में सर्वोपरि है | क्षमावान् व्यक्ति के अन्दर दया धर्म स्वतः ही समाहित हो जाता है। दया का उल्टा याद है, तो उसको तीन लोक के जीव याद करते हैं और वह तीनों लोकों में पूज्य हो जाता है। क्रोध से सदा अहित और क्षमा से सदा हित ही होता है। क्रोध की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह प्रकट होने से पूर्व हमारे विवेक को दबोच लेता है। हित-अहित क विचार का मौका ही नहीं देता।
एक बार एक लड़का आग ताप रहा था | उसक पिता ने बाजार से आकर नोटों की एक गड्डी उसके पास लाकर रख दी। लड़क ने खेल-खेल में उस नोटों की गड्डी को आग में डाल दिया। यह देखकर उसके पिता को क्रोध आ गया और उसने लड़के को उठाकर कुँए में फेक दिया। जब उसका क्रोध शान्त हुआ, तब उसने विचार किया कि पैसा भी गया और पुत्र भी गया, अब मरा जीवित रहना व्यर्थ है। उसने भी कुँए में छलाँग लगा दी। इस प्रकार क्राध में सबकुछ समाप्त हो गया । क्रोध करने स पहल हमें विचार करना चाहिये कि मैं किस चीज
(40