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________________ तब उसकी पत्नी साहस रखकर उस वेश्या के घर पहुँची और अपना परिचय दे कर उसने अपने पति की उदासी का सब हाल वश्या को सुनाया और अपने पति का सुमार्ग पर लाने में उसकी सहायता माँगी। ब्राह्मण युवती की सरलता देखकर उस वेश्या का हृदय पिघल गया। उसे उस पतिव्रता ब्राह्मणी पर दया आयी और उसने ब्राह्मणी से कहा कि जाओ अपने पति को मेरे पास भेज दो। साथ ही अपने पहरेदार से भी कह दिया कि एक ब्राह्मण युवक आयेगा, उसे तुम सीधे मेरे पास आने देना। वह ब्राह्मणी युवती अपने घर गई और अपने पति से बोली कि जाओ तुम उस वश्या के पास और अपनी उदासी दूर करो, अब तुम्हें पहरेदार नहीं रोकेगा | अपनी पत्नी की इस सहानूभुति का उस युवक के हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ा, किन्तु एक बार वेश्या से मिलने के लिये चला गया। वेश्या ने उस ब्राह्मण युवक का स्वागत किया और उसे अनेक प्रकार से समझाया, और कहा मेरा शरीर वास्तव में सुन्दर नहीं है। यह सब तो ऊपर की बनावटी सुन्दरता है। ब्राह्मण युवक उस वश्या के असली रूप को देखकर बहुत लज्जित हुआ, तब बिना कुछ कहे चुपचाप सीधा अपने घर वापिस चला आया । वेश्याओं की ऊपर बनावटी सुन्दरता के समान ही अन्य विषय-भोगों का हाल है। वे दूर से बहुत मनोहर प्रतीत होते हैं, किन्तु उनमें भीतर वैसी सुन्दरता नहीं होती। बेनटेक्स ज्वैलरी पर चढ़ा हुआ सोने का पालिश इतना सुन्दर दिखाई पड़ता है कि उसके सामने सोना भी हय दिखाई देता है, परन्तु कुछ ही समय में वह काला पड़ जाता है। काँच का बना हुआ नकली रत्न हीरे से भी (359
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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