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मिल जाते हैं।
संयमी व्यक्ति ही मन पर विजय प्राप्त कर सकता है। मन को विषय-भोगों से हटाकर संयम का पालन करा | सत्संगति, स्वाध्याय और वैराग्य में अपने मन को लगाओ | संयम उम्र की नहीं, वासनाओं के त्याग की अपेक्षा रखता है | संयमी व्यक्ति शरीर और आत्मा के भद को जानता है। एक युवक भी संयम धारण कर सकता है, और एक वृद्ध भी 60-70 वर्ष की उम्र में पुनर्विवाह कर सकता है। __ असंयमी का मन कभी शान्त नहीं रहता | उसक दांत गिर जायें तब भी चना, मूंगफली खान की इच्छा समाप्त नहीं होती। चबा नहीं सकते तो कूट-कूट कर खायेंगे, पर खायेंगे जरूर | यदि वास्तव में अपने मन व इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना चाहत हो, संसार के दुःखों से मुक्त होना चाहते हो, तो शीघ्रातिशीघ्र संयम को धारण कर इन विषय कषायों को जड़ से नष्ट कर दो।
संयम के मायने है - जीवन को अनुशासित करना। संयम के मायने है-अपनी संकल्प शक्ति का, अपनी विल पावर (इच्छा शक्ति) को बढ़ाना।
यदि अपनी इस दुर्लभ मनुष्य पर्याय को सफल करना चाहते हो, तो विषय-भोगों का त्याग कर संयम धारण करो। इन्द्रिय निग्रह करो | पर से उदास होकर स्व में लीन हो जाओ । इन विषय-भोगों से आज तक किसी को भी शान्ति की प्राप्ति नहीं हुई। पर हम भोगों को भोगकर ही शान्ति की आशा कर रहे हैं। कोयले को घिस-घिस कर सफेदी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिस मनुष्य शरीर से हम मोक्षरूपी हीरे को खरीद सकते हैं, उसी से कंकड़ पत्थर खरीद रहे हैं।
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