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वचन मत बोलो | बहुत अन्याय हो सकता है | द्रोपदी क दो शब्दों ने इतना अन्याय कर दिया कि दुर्योधन कहता है बता दूंगा तुम्हें कि अन्धों के पुत्र अन्धे कैसे होते हैं। एक कठिन वचन ने भरी सभा में चीर हरण की नौबत ला दी। दुर्योधन कहता है कि द्रोपदी हम लोग अन्धे हैं । अन्धों के पुत्र अन्धे होते है । अंधों के सामने नग्न होकर भी चली जाओ तो क्या फर्क पड़ने वाला है । एक वाक्य से एक स्त्री के सतीत्व के लुटने की नौबत आ गयी थी। एक वाक्य ने महाभारत जैसा युद्ध खड़ा कर दिया था। कितना संग्राम हुआ, कितना खून-खच्चर हुआ?
सारा झगड़ा महाभारत में मात्र बातों-बातों का है | महाभारत को खोजो तो कोई सार नहीं। प्याज की पर्ते हैं महाभारत में | राम और रावण युद्ध तो फिर भी ठीक प्रतीत होता है। लेकिन महाभारत में केवल प्याज की पर्ते लगी हैं। छिलके निकालत जाओ, निकालते जाओ, अन्त तक छिलक निकलते जायेंगे | कोई सार नहीं | बातों-बातों का युद्ध है | मूर्खा का युद्ध है | उसने कहा कि मुझे अन्धा क्यों कहा? उसने कहा कि मुझ नग्न हाने को क्यों कहा?
दो व्यक्ति गप्पें हाँक रहे थे। एक कहता है कि साहब मुझे तो ऐसा लग रहा है कि आज कल दूध बहुत महँगा मिलता है, मेरा मैं स खरीदने का भाव है | बोले, बहुत अच्छा । मैं भी सोच रहा हूँ कि बेरोजगार हूँ? क्या करूँ मेरा भी भाव है कि एक खेत खरीदा जाए । आजकल शक्कर बड़ी महंगी हो रही है, गन्ना पैदा किया जाये? तो हम शक्कर पैदा करेंगे और तुम दूध पैदा करोगे। दोनों मिलकर चाय बनायेंगे | दुनिया चाय की ज्यादा शौकीन है | तुम भैंस लाओ तो दूध देना और हम गन्ने की खेती करेंगे | हम शक्कर बनायेंगे। सारी दुनिया अपने से प्रसन्न हो जायेगी। तभी गन्ने के खेत वाला
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