________________
निकला, पर ऊपर से कचरा नहीं आया। उस आदमी ने ऊपर देखा क्या बात है। आज कचरा क्यों नहीं फेका गया? ऊपर कोई नहीं था। दूसरे दिन भी कचरा नहीं फेका गया । उस आदमी ने आस-पास वालों से पूछ-ताछ की-कचरा फेकने वाला व्यक्ति क्या कहीं बाहर गया है? दखिये यदि इस जगह हम और आप होते तो शुरू में ही कचरा न फेका जाय इसका इन्तजाम कर देते । लकिन उस आदमी की निर्मलता दखियेगा कि कचरा गिरने पर भी उस व्यक्ति के प्रति मन मलिन नहीं किया, परिणाम नहीं बिगाड़, बल्कि पूछ रहे हैं कि कहीं बाहर गये हैं क्या? उन्होंन दरवाजे को धक्का दिया, अटका हुआ था- खुल गया | वह सीढ़ी चढ़कर ऊपर पहुँचा | देखा- जो व्यक्ति रोज कचरा फेकता था वह बीमार पड़ा है, बिस्तर पर है। वह वहीं बैठ गया और उस बीमार व्यक्ति के स्वास्थ्य लाभ के लिये प्रार्थना करने लगा | वह बीमार व्यक्ति चुपचाप देखता रहा कि यह वही व्यक्ति है जिस पर मैं रोज कचरा फेकता था और यही व्यक्ति मेरे स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना कर रहा है। उस बीमार व्यक्ति (कचरा फेकने वाल) का मन भीग गया। कल तक जिस पर कचरा फेकता था, आज उसी के चरणों में आँसू बहाये | ये क्या चीज है? य मन की निर्मलता है, जो दूसरे के मन को भिगो देती है | स्वयं का मन तो भीगता ही है, दूसरे का मन भी हमारे मन की निर्मलता से प्रभावित होता है इसी का कहते हैं मन शुद्ध हा गया। __लोभ का परित्याग करने से जा सन्तोष उत्पन्न हाता है, उसे ही शौच धर्म कहते हैं। जितना-जितना लोभ हमसे छूटता जायेगा शौच धर्म प्रगट होता जायेगा। संतोषी प्राणी ही सुखी रहते हैं। ___हम अपनी आत्मनिधि को भूल चुके हैं और उस भौतिक धन को पाने के लिए लालायित हो रहे हैं जो कि न तो आत्मा के साथ रहा
273)