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कर वापस लौटोगे उतनी जगह ( जमीन ) तुम्हारी हो जायेगी - जाओ तुम्हें वरदान देता हूँ। तो उसने सूरज की पहली किरण के साथ दौड़ना शुरू किया और बेतहाशा दौड़ता रहा, दौड़ता रहा । जहाँ से प्रारंभ किया था वहीं पर लौटना था शाम ढलने से पहले । जहाँ लाईन खिंची थी (जहाँ से प्रारंभ किया था) उससे मुश्किल से दो-चार कदम पहले वह इतना थक गया कि निढाल हो कर गिर पड़ा। गिरा तो फिर उठ नहीं सका। वहीं प्राणान्त हो गया उसका । उसकी कब्र पर लिखा गया कि हाऊ मच लेण्ड इज ए मैन रिक्वायर (एक व्यक्ति का कितनी जमीन अपेक्षित है ? )
कितना चाहिये उसको, और कितना है? उस व्यक्ति को रहने के लिये थोड़ी-सी जमीन ही तो चाहिये थी जब कि वह इस बात के लिये इतना भागता रहा कि उसे सब कुछ मिल जाय । हमें ये ध्यान में आ जाये कि हमें चाहिये कितना सा और हम जो प्राप्त करें उसमें आनन्द लें तो हमारे जीवन में निर्मलता आये बिना नहीं रहेगी ।
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श्री क्षमासागर महाराज ने लिखा है- निर्मलता क्या चीज है? निर्मलता के मायने है- जीवन का चमकीला होना। निर्मलता के मायने है - मन का भीगा होना । निर्मलता के मायने है- जीवन का शुद्ध होना । जीवन कैसे बनता है निर्मल ? सन्त एकनाथ नदी से नहाकर लौट रहे थे, रास्ते में ऊपर से किसी ने उन पर थूक दिया । एकनाथ कुछ न बोले । चुपचाप दोबारा नहाने चले गये । लौटे तो उस व्यक्ति ने फिर थूक दिया। ऐसा सौ दफे हुआ । अपने साथ एक-आध दफे भी हो जाये तो अपने मन के साथ क्या गुजरती ? कितना जल्दी मलीन हो जाता है हमारा मन । किसी ने जरा-सी कोई बात कह दी कि बस । कई बार तो ऐसा लगने लगता है कि अपन चाबी के
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