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जाये | महाराज ने उससे कहा-क्या बात है, तुम क्या चाहते हो? वह बाला-मैं तीस हजार रुपये महीना कमाता हूँ, आपकी कृपा हो जाये तो मेरी मासिक आय तीस हजार से पचास हजार हा जाये। तीस हजार में मेरी जिन्दगी का गुजारा नहीं होता। महाराज को बड़ा आश्चर्य हुआ इस व्यक्ति की जिन्दगी का गुजारा तीस हजार रुपये में भी नहीं हो रहा है। ___महाराज ने उससे कहा कि सड़क पर जो तू अपनी गाड़ी खड़ी करके आया है, उस गाड़ी में कौन है? वह बोला मेरा ड्राइवर है | महाराज ने पूछा-उस ड्राइवर को तू कितने रुपये महीन देता है? वह बोला-मैं उसे तीन हजार रुपये महीने देता हूँ। महाराज ने कहा उसे तीन हजार रुपये देता है और तुझे तीस हजार रुपये मिलते हैं। तीन हजार में उस ड्राइवर का गुजारा हा जाता है? वह बोला हाँ उसका गुजारा ता बड़े अच्छे से हो जाता है | वो तो हमेशा खुश और बड़ा प्रसन्नचित्त रहता है | महाराज ने उसस पूछा-उस ड्राइवर के बच्चे भी होंगे? वह बोला-ड्राइवर के पाँच बच्च हैं | महाराज ने कहा और तुम्हारे कितने बच्चे हैं? वह बोला-मेरा तो एक ही लड़का है। महाराज को बड़ा आश्चर्य हुआ जिसक पाँच बच्चे हैं, वा तीन हजार में सुखी है और जिसके एक बच्चा है, वह तीस हजार में भी दुःखी
___महाराज ने उस व्यक्ति स कहा-यदि मैं तुझे पचास हजार रुपये मासिक आय प्राप्त होने का आशीर्वाद दे दूं तो क्या तू सुखी हो जायगा? उसने कहा-उम्मीद है कि सुखी हा जाऊँगा | पचास हजार में भी उसे उम्मीद है, विश्वास नहीं है। महाराज ने उससे कहा तुझ पचास हजार तो क्या पचास लाख भी मिल जायें, तो भी तू सुखी नहीं हो सकता | जीवन में यदि संतोष है, तो व्यक्ति तीन हजार में भी सुखी
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