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गई, थोड़ा पता लगाओ | 7 बज गये हैं, अभी तक नहीं आया। अब इन्सपेक्टर के मन में थाड़ी-सी शंका हुई कि बेटा लौटा क्यों नहीं । उसने अपनी मोटर साईकिल उठाई और स्कूल की तरफ बढ़ा। तभी एक स्थान पर उसे भीड़ दिखी, वह घटनास्थल था, जहाँ एक लड़के का क्षत-विक्षत शरीर लहूलुहान पड़ा था। वह वहाँ पहुँचा तो हतप्रभ रह गया। वह कोई और नहीं, उसका अपना ही बेटा था, जो उसी ट्रक से कुचल कर मारा गया था। उस इंस्पेक्टर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि रिश्वत ने मेरी आत्मा को भी खरीद लिया था। और तब से उसने रिश्वत लेने का हमेशा-हमेशा के लिये त्याग कर दिया।
जब व्यक्ति के पास कछ प्रलोभन आता है, तो वह सब कछ भूल जाता है | अपना ईमान तक भूल जाता है। हर आदमी बेईमानी कर रहा। अधिकारी रिश्वत लेता है, व्यापारी डंडी मारता है, मिलावट करता है, भाव-ताव में कमावेसी करता है। यह सब अन्याय है, अनीति है।
एक जगह एक व्यंग लिखा था-यदि आप बीमार हों, तो डाक्टर को दिखायें, इसलिये कि डाक्टर जी सके | डाक्टर जा दवा लिखे वह आप खरीदें, इसलिये कि दवा-विक्रेता और निर्माता जी सकें | पर आप उसे खायें नहीं, इसलिये कि आप जी सकें | यह आज की स्थिति है | यह सब अनीति है, बेईमानी है | बेईमानी या अनीति की व्याख्या करते हुये कहा गया है कि मनुष्य की धूर्तता, उसकी वक्रता, उसका कपट, उसकी माया, जिसे वह छिपाने का प्रयत्न करता है, वह सब अन्याय है, अनीति है, मायाचारी है और तिर्यंच गति का कारण है। 'माया तैर्यग्योनस्य । हम यदि आज कहीं कुछ बेईमानी कर रहे हैं, ता इस कूट-व्यवहार कहा गया है | कूट-व्यवहार तिर्यंच गति का कारण है, जो मनुष्य को एकदम नीच ले जाता है। आजकल
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