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करता है। इसलिये बंदर! तू इस आदमी को धक्का द-दे, मैं इसे खाकर चला जाऊँगा।
बंदर बोला-नहीं वनराज! मैं इस आदमी का धक्का नहीं दे सकता | यह मेरी शरण में है, मैं इसके साथ विश्वासघात नहीं कर सकता | इसलिये मैं इसे धक्का नहीं दूंगा| बन्दर ने कहा-मुझे नहीं मालूम धर्म क्या है, शास्त्र क्या है, पुराण क्या है? मैं तो इतना जानता हूँ कि शरण में आये व्यक्ति के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिये । शेर ने कहा-अभी भी वक्त है, तू धक्का दे-दे | बंदर ने कहा-मैं नहीं दे सकता धक्का | शेर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गया । बोला-कब तक नहीं उतरेगा, तू बंदर है, तू सारी रात पेड़ पर रह सकता है, पर ये आदमी नहीं रह पायेगा। कुछ समय बाद बंदर को नींद आ गई। शेर ने दखा बंदर सो रहा है | उसने आदमी से कहा देख, मुझे तो भूख लगी है, मुझे भोजन चाहिये | यदि तुझे अपनी जान प्यारी हो, तो इस बंदर को धक्का दे-दे | मैं इस खाकर चला जाऊँगा और तेरी जान बच जायेगी। शर की बात सुनकर आदमी ने कहा-ठीक है। इसमें क्या दिक्कत है और मैंन सुना भी है कि यदि जानवर का पेट भर जाये तो वह किसी का शिकार नहीं करता। आदमी की ईमानदारी बड़ी जल्दी गायब हो जाती है, बड़ी कठिनाई है। और उस चालाक आदमी ने बंदर को धक्का दे दिया। बंदर तो स्वभाव से चंचल हाते हैं | जैस ही उसे धक्का दिया, वह दूसरी डाल पकड़कर लटक गया | शेर ने बंदर से कहा-देख मैंने तुझस पहले ही कहा था कि इस आदमी पर इतना विश्वास मत कर, आदमी बड़ा खतरनाक होता है | तूने इसे शरण दी और ये तुझे मरण दे रहा है |
जैसे ही बंदर ने शेर की बात सुनी, वह सोच में पड़ गया। शेर ने कहा-सोचते क्या हो? अब भी समय है, तू इस आदमी को धक्का
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