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दूसरे देनेवालों को मना कर दिया है। लोगों के ऐसे वचन सुनकर मुनिराज को राजा पर क्रोध आ गया और उन्होंनें यह निदानबंध कर लिया कि इस राजा का पुत्र होकर राजा का निग्रह कर मैं राज करूँ ।
इस प्रकार राजा उग्रसेन की रानी पद्मावती से वह पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ, जिसकी क्रूर दृष्टि देखकर उन्होंने संदूक में रखकर उसे यमुना नदी में बहा दिया, जो कोशाम्बीपुर में मन्दोदरी नामक कलाली के घर प्राप्त हो गया और कंस नाम रखा गया ।
बड़ा होने पर इसके उत्पाद से दुःखित होकर मन्दोदरी ने उसे घर से निकाल दिया । तब वह शौर्यपुर के राजा वसुदेव का सेवक बन गया। राजा जरासिंध प्रतिनारायण के पत्र आने पर उसने पोदनपुर के राजा सिंहरथ को बाँधकर जरासिंध को सौंप दिया ।
जरासिंध ने खुश होकर उसका विवाह अपनी पुत्री जीवयंशा से कर दिया और उसे आधा राज्य दे दिया। इस प्रकार कंस ने मथुरा का राज्य प्राप्त कर राजा उग्रसेन और माता पद्मावती को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया । वह बड़ा अभिमानी था। उसने श्रीकृष्ण को मरवाने के लिये अनेक प्रयास किये, पर अन्ततः श्रीकृष्ण द्वारा अपमानित होना पड़ा और प्राण गँवाये |
यह लोक बहुत विशाल है । समस्त लोक के आगे यह दो हजार मील की पृथ्वी जिसमें हम अपनी कीर्ति बढ़ाने की इच्छा रखते हैं, इसकी माप इनती भी नहीं है जितनी माप बड़े समुद्र में एक बूँद की है । और यदि किसी की थोड़ी बहुत कीर्ति होती भी है तो वह कितने दिन रहती है। कौन जानता है कि अतीत काल के 24 तीर्थंकरों का नाम क्या है? उनका नाम थोड़ ग्रन्थों में लिखा है सो पढ़कर सुना दें किन्तु उससे पहले के चौबीस तीर्थंकरां का नाम क्या है ? कुछ
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