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को अभूतपूर्व चुनौती देनेवाला हिटलर कहता था कि मेरी अधीनता स्वीकार कर लो, अन्यथा बमवर्षा करके तुम्हें भस्मीभूत कर दूंगा। विश्व को भय से थर्रा देनवाला आतंक का प्रतीक हिटलर भी दुनिया से एसा गायब हुआ कि उसके शव तक का पता नहीं चला | दुनिया में जहाँ भी द्वेष है, ईर्ष्या है, प्रतिस्पर्धा है, प्रदर्शन है, वह सब अहंकार की देन है।
अनादिकाल से यह जीव कषायों से कसता आया है, इसलिये यह दुःखी है। नरकगति में क्रोध, देवगति में लोभ, तिर्यंचगति में माया चरम-सीमा पर पहुँच जाती है और मनुष्यगति में मान-सम्मान की फिकर पड़ जाती है। एक सेठ क पास अपार धन-संपत्ति थी। सेठ की एकमात्र इच्छा थी कि प्रचुर धनराशि का प्रदर्शन कुछ इस ढंग स किया जाये कि दुनिया सदा उसका यशोगान करती रहे | उसके जीवन के पचास वर्ष इसी उधड़-बुन में बीत गये थे, किन्तु अभी तक उसे कोई उचित अवसर नहीं मिल पाया था |
आखिर समय ने उसे मौका दे दिया। उसकी इकलौती बटी की शादी का प्रसंग था। वह मन-ही-मन सोचने लगा कि धन-प्रदर्शन के माध्यम से यश पाने का यह उत्तम अवसर है। उसने दूसरे दिन अपने सभी मित्रों को बुलाकर कहा – मित्रो! मैं अपनी लाड़ली बेटी की शादी ऐसे अनूठे ढंग से करना चाहता हूँ जैसी आज तक किसी ने कहीं न देखी हो, न सुनी हो । चाहे जितना खर्चा हो जाये, उसकी मुझे परवाह नहीं है। मैं यही चाहता हूँ कि सभी मेरी प्रशंसा मुक्तकंठ से करते रहें | शादी इतनी शानदार हो जिसे लोग युग-युगान्तर तक याद करते रहें।
सेठ के उन मित्रों में से एक बुजुर्ग मित्र ने अपना अनुभव व्यक्त
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