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जन-जन में स्वाध्याय करने की रुचि जागृत हो, इस भावना से इस ग्रंथ में छोटी-छाटी कहानियों के माध्यम स धर्म के दशलक्षणों एवं सम्यग्ज्ञान का बहुत ही सरल भाषाशैली में वर्णन किया गया है। मैं उनके इस पुनीत कार्य की सराहना करता हूँ। यह ग्रंथ समाज के लिये उपयोगी हो और गुणीजनों को वीतरागमार्ग में सहायक हो। इस ग्रंथ का लाभ आबाल-वृद्ध सभी धर्म-प्रेमी-उठायेंगे, ऐसी आशा करता हूँ।
-पं० सुबाध कुमार जैन (कलमकर)
बी-27,पद्मनाभ नगर, भोपाल
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