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जाती है। पत्नी को आश्चर्य हुआ, इतनी बड़ी ट्रेन जरा-सी चेन खींचने से रुक जाती है । पत्नी ने कहा - तब तो यह मुझे खींचनी है | पति ने कहा- नहीं, यह नहीं हो सकता। पत्नी ने कहा- नहीं, मैं तो चेन खींचूँगी, चाहे आप कुछ भी कर लो। लो बन गई जिद की दीवार । अब यह दीवार नहीं टूट सकती । पति ने प्यार से समझाया- अरे भाग्यवान् ! चेन ऐसे नहीं खींची जाती है । पत्नी ने गुस्से से पूछा- तो फिर कैसे खींची जाती है? पति ने कहा- जब कोई गिर जाये, या कोई चीज रह जाये तब खींची जाती है । पत्नी ने कहा - तो फिर तुम जरा गेट पर खड़े हो जाओ । पति ने पूछा- क्यों? पत्नी ने कहा- तुम गेट पर खड़े हो जाओ तो फिर मैं तुम्हें धक्का मारूँगी और तुम नीचे गिर जाओगे तो मैं आराम से चैन खींच लूँगी। पति ने माथा ठोकते हुये कहा - अरे पगली ! चलती ट्रेन में तू मुझे धक्का देकर गिरायेगी तो क्या मैं मर नहीं जाऊँगा? पत्नी ने कहा- तो क्या हुआ? क्या तुम मेरे लिये इतना भी नहीं कर सकते ? महिलाओं की जिद ऐसी होती है।
पति परेशान, अब क्या करूँ ? इसे कैसे समझाऊँ? पति ने कहा- देखो, जिद मत करो। तुम थोड़ी पढ़ी-लिखी हो तो यह पढ़ो, क्या लिखा है ? 'अकारण चेन खींचना कानूनन अपराध है, अकारण चेन खींचने पर 500 रु. का जुर्माना है ।' पत्नी बोली- 500 रु. दे देना, पर मुझे तो चेन खींचना है। पति बोला- मेरे पास तो पैसे भी नहीं हैं, मैं दूसरा पेंट पहन कर आ गया हूँ । पत्नी बोली- ये देखो, मेरे पास 500 रु. हैं। इनमें से 250 रु. अपने पास रख लो, कोई अधिकारी आये और जुर्माना के रुपये माँगे तो तुम उसे 250 रु. दे देना । 250 रु. में काम हो जाये तो ठीक, और नहीं माने तो मुझे इशारा करना, 250 रु. मैं भी दे दूँगी। पर चेन तो खींचूँगी ।
पति ने झुंझलाते हुये कहा- ठीक है देवी ! जैसी तेरी इच्छा |
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