________________
का संहारक बन गया । मेर द्वारा यह बहुत बड़ा अपराध हो गया । राजा क्रोध के कारण विवेकशून्य / अंधा हो गया और उसने इतना बड़ा अक्षम्य अपराध कर दिया। राजा बड़ा दुःखी हुआ, पर अब पछताये होत क्या? तोते के तो प्राणपखेरू उड़ चुके थे । इसीलिये कहा है- क्रोध अंधा होता है । क्रोध में वह क्या कर जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता। उस क्रोध ने राजा को अविवेकी बना दिया और उससे यह अक्षम्य अपराध हो गया । तोते की मृत देह को देखकर राजा सिर्फ पश्चात्ताप के आँसू ही बहा सका, किन्तु कुछ कर न सका। तोता तो चला गया, पर उस सम्राट को हमेशा के लिये विचारकर कार्य करने की सीख मिल गई ।
क्रोध की बढ़ती हुई स्थिति के बारे में 'गीता' में कहा गया है। क्रोधाद् भवति सम्मोहः, सम्मोहात्स्मृति विभ्रमः । स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो, बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ।।
क्रोध से मूढ़ता, मूढ़ता से स्मृति-भ्रान्ति, स्मृति - भ्रान्ति से बुद्धिनाश और बुद्धिनाश से प्राणी का विनाश हो जाता है। अग्नि दूसरों को तो जलाती ही है, पर खुद को भी जलाती है । क्रोध को अँगार कहा गया है । हाथ में अँगार उठाकर आप किसी के ऊपर फेकेंगे तो सामनेवाला जले, या न जले, तुम्हारा हाथ तो जलेगा ही । क्रोध को अँगार के समान माना गया है, जिससे सामनेवाला जले, या न जले पर क्रोधी अपने आप को जलानेवाला तो होता ही है ।
क्रोध को जीतनेवाला ही क्षमाधर्म को धारण कर सकता है | क्षमा धर्म की महिमा के बारे में लिखा है
-
नरस्याभरणं रूपं रूपस्याभरणं गुणः । गुणस्याभरणं ज्ञानं, ज्ञानस्याभरणं क्षमा । ।
87