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शरीरादि सभी पराये हैं जानने से-आत्म ज्ञान, आत्म दर्शन, आत्मानुभव होने से, शरीर, शरीर से जुड़े परिजन, धन-वैभव मैं नहीं, मेरे नहीं पक्का आत्मसात हुआ। उन परायों से परे हो जाना, स्वयं में लीन हो जाना। आगे की दो चौकड़ी कषायों को कृश कर दिया। निर्जरा। क्रोधादि कषाय का मिट जाना हुआ निर्जरा। शास्त्रीय शब्द लें-पर-पदार्थ के कारण होने वाले पर-भाव का प्रत्याख्यान न होने देने वाली कषाय-चौकड़ी है-अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोध-मान-माया-लोभ। दीक्षा ले, आत्मलीन हो जाऊं, निश्चय से वह भी टूटी, परिजन, धन, वैभव, अग्रज प्रिय ने तय की भावी पत्नी से विवाह नहीं करना, भोग-भोगकर कर्म नहीं बांधना। संवर हुआ। परित्याग, कृष्ण वासुदेव ने अपना सिंहासन उन्हें दे दिया, वह भी त्यागा, संवृत, अगली चौकड़ी प्रत्याख्यानावरणीय कषाय कृश कर दी। निर्जरा।
आत्म-पुरुषार्थ से ही संवर-निर्जरा-पंच महाव्रत ग्रहण कर संयम ले लिया। पांच पापों, सह राग-द्वेष-मोह, क्रोध-मान-माया-लोभ से आने वाले कर्म रोक दिए-संवर। परम गुरु तीर्थंकर परमात्मा से महाशमशान में जा एकान्त ध्यानलीन होने की आज्ञा ली। संवृत अणगार। अपने उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषाकार पराक्रम, आत्मगुण, प्रकट कर, अडोल-अकंप ध्यान। संवर। भयंकर दुख, कष्ट, बाधा, प्रतिकूलता, उपसर्ग (किसी मनुष्य, पशु, दुष्ट देव द्वारा घोर कष्ट पहुंचाना) वाले स्थान पर जा ध्यानमग्न होना-संवर पूर्वक निर्जरा का आत्मपुरुषार्थ प्रारंभ।
आत्मध्यान से सर्वकर्म निर्जरित-पानी में लकीर लगाएं तो तुरंत मिटे इतना सा क्रोध, मान, माया, लोभ-कषाय (संज्ज्वलन कषाय) बचा। उसी प्रकार के हास्य, रति, अरति, भय, शोक, जुगुप्सा, पुरुषवेद, स्त्री वेद, नपुंसक वेद, ये नौ नो-कषाय, कषाय जैसे, कषाय को सहयोगी नौ कषाय बचे। इतना सा तो घाती कर्म बचा है। अघाती में तीव्रतम असाता वेदनीय कर्म बचा है। उन्हें ज्ञात नहीं है। कोई सत्ता में, पूर्वबद्ध कर्म बंधा पड़ा है, वह कब उदय में आकर मुझे विकार में ले जा नए कर्म बंधवा देगा, अतः सजग, जागरुक आत्मसाधक उन्हें शीघ्र उदय में लाना चाहता है। सजग अवस्था में उनसे युद्ध कर परास्त करना चाहता है। उस हेतु घोर-से-घोरतम कष्ट-उपसर्ग-दुख आ सकें, ऐसे व्यक्तियों के बीच, ऐसे विपरीत स्थानों पर जा ध्यानस्थ हो जाता है। कर्म-निर्जरा दो प्रकार से-जो कर्म सहज उदय में आ गया, उससे अप्रभावित रह आत्मध्यान में चले तो निर्जरित होता है। आत्मपुरुषार्थ से उदय में शीघ्र लाकर फिर उससे परास्त न हो, परास्त कर दे, वह
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