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तो अब हमारे सामने प्रश्न क्या हैं। हमारे सामने प्रश्न यह है कि जिस मान्यता को हमने धारण किया है। उसके अनुरुप अपने देश की कानून व्यवस्था होनी चाहिए। यह प्रश्न है। सबसे बड़ा कत्तल खानों का बंद होना, नहीं होना यह इस प्रश्न से तय होने वाला है। हिन्दुस्तान में कानून बने हैं, कायदे बने हैं वो अंग्रेज बनाके चले गए हैं। उन कानूनों के अनुसार गाय का कत्तल नहीं हो सकता लेकिन बूढ़ी गाय का हो सकता हैं। उसी कानून के अनुसार अंग्रेजों का बनाया हुआ कानून जब उन्होंने बहुत दबाव में आ के तय किया। और बाद में भारत सरकार ने इसको राज्यों के स्तर पर बनवाया। केन्द्र ने तो आज तक नहीं बनाया। भारत में आप जानते हैं 18 राज्य हैं जिन्होंने यह कानून बना दिया हैं उनमें महाराष्ट्र भी एक हैं कि गाय का कत्लं तो नहीं करेगें लेकिन अस्वस्थ गाय है तो कर लेंगे। स्वस्थ का नहीं करेगें। अस्वस्थ का कर लेंगे। तो स्वस्थ और अस्वस्थ होने के बीच में एक बहुत बारीक लाईन है।
एक डॉक्टर बैठता है कत्ल खाने के गेट पर जो यह सर्टीफिकेट देता है कि यह स्वस्थ है या अस्वस्थ। उसके सर्टीफिकेट से तय होता है। एक बार में देवनार कत्ल खाने में गया। मेरी आँखों के सामने बहुत अच्छी-अच्छी सुंदर-सुंदर.गाय एकदम स्वस्थ कटने के लिए गई। मैंने कहा भाई कानून यह कहता है महाराष्ट्र का कि गाय नहीं कटनी चाहिए। उसने कहा कानून को ध्यान से पढ़ो, कहता हैं कि बीमार गाय कटनी चाहिए। मैंने देखा बात सही है। स्वस्थ तो नहीं काट सकते अस्वस्थ तो काट सकतें हैं। तो मैंने कहा कैसे मालूम तुमको यह अस्वस्थ हैं। उसने कहा मेरा सर्टीफिकेट है। तो मैंने कहा तुम अस्वस्थ कैसे बना सकते हो किसी गाय को। उसने कहा बहुत आसान है किसी भी स्वस्थ गाय के पाँव में डंडा मार दो, लंगड़ा के चलने लगे तो अस्वस्थ हो गई। किसी भी गाय की पूंछ काट दो तो अस्वस्थ हो गई। पाँच दिन भूखा रखो चल नहीं पायेगी, अस्वस्थ हो गई तो कटने के लिए जायेगी। कानून से जायेगी। उसमें मान्यता का प्रश्न नहीं हैं कानून का प्रश्न है। तो इस समय भारत के 18 राज्यों में यह कानून है गौरक्षा के लिए। लेकिन हर कानून में यह लगा हुआ है। कई राज्यों में यह है कि बछड़ा अगर तीन बरस से छोटा है तो नहीं कटेगा। तीन बरस से एक दिन भी उपर हैं तो कटने को जा सकता है! तो कानून बना दिया उन्होंने और हम हिन्दुस्तानी जो देश चलाते हैं अंग्रेजों की मान्यता से इतने प्रेरित हैं कि इस तरह के कानून को सुधारते रहते हैं। 58-59 साल से जड़ मूल से खत्म नहीं करते। अपनी मान्यता के अनुसार गाय बीमार हो या अस्वस्थ तुमको क्या लेना देना। तुमने पैदा नहीं किया तुम मारते कैसे हो उसको, जिसने पैदा किया हैं वो तय करेगा कि इसको कब मरना हैं कब नहीं मरना हैं। तुम कौन होते हो बीच में अडंगा लगाने वाले! यह तो मान्यता का प्रश्न है कानून में नहीं आता तो अब इस देश में हमें यह तय करना है कि कानून का राज चलेगा कि मान्यताओं का। . गौमाता पंचगव्य चिकित्सा