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माँसाहार का चलन बंद किया जाए। तो माँसाहार चलन बंद करने के लिये सबसे ज्यादा जरुरी है कि मांस उत्पादन के जो केन्द्र चल रहे हैं इनको बंद किया जाये। तो पंडित राजेन्द्र प्रसाद ने भी आजादी के पहले इस तरह का संकल्प लिया कि मैं कभी हिन्दुस्तान में आजादी के बाद अगर किसी महत्त्वपूर्ण पद पर आया। तो गाय का मांस जहाँ उत्पादन होता है, गौवंश का जहाँ कत्ल होता है। हिन्दुस्तान के जानवरों का जहाँ कत्ल होता है। यह सारे उत्पादन केन्द्र बंद करवा देंगे। और इसके लिये हम केन्द्रीय स्तर पर कानून बनवायेंगे। ऐसी भावना थी। यह दोनों व्यक्ति हिन्दुस्तान के सबसे ऊंचे शिखर पर बैठे। पंडित जवाहरलाल नेहरु हिन्दुस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद हिन्दुस्तान के पहले राष्ट्रपति बने। तो हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री और . राष्ट्रपति बनने से पहले दोनों नेता यह मानते थे कि गाय का कत्ल नहीं होना चाहिये। गौवंश की रक्षा होनी चाहिये। और मांस उत्पादन के जो केन्द्र चल रहे हैं पूरे देश में इनको बंद करा देना चाहिये। दोनों नेताओं की यह मान्यता थी कि मांस उत्पादन के केन्द्र को बंद कराने के लिये अगर जरुरत पडे तो हम केन्द्रीय स्तर का कानून बनायेगें।
__ . लेकिन मेरा सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि अपने पूरे शासन काल में पंडित जवाहरलाल नेहरु और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गौवंश की रक्षा करने वाला कानून ही नहीं बना पाये। बाकी बहुत सारे कानून उन्होंने बनाये। 1955 के साल में पंडित नेहरु ने पार्लियामेंट में एक भाषण दिया हैं। उस भाषण की फोटो कॉपी भी हमारे पास है। वो भाषण पंडित नेहरु दे रहे हैं 1955 में पार्लियामेंट के अंदर। हुआ क्या है। एक सांसद ने गौवंश की हत्या को रोकने के लिये एक विधेयक पार्लियामेंट में लाया कि गौवंश की हत्या रोकी जानी चाहिये। इसके लिये एक विधेयक आया संसद में। उस विधेयक पर बहस हो रही है। तो बहस करते समय पंडित नेहरु कह रहे हैं कि उस विधेयक को तत्काल रद्द किया जाना चाहिये। माने गौवंश कत्ल चालू रहना चाहिये। आजादी के पहले एक बात कह रहे हैं और आजादी मिलने के बाद जब वो प्रधानमंत्री बन गये हैं। तो पार्लियामेंट के अंदर उसकी ठीक दूसरी बात कह रहे हैं। दोस्तो, आज यह जो हिन्दुस्तान के नेता हैं सत्ता मिलने के बाद दूसरी बात कहते हैं। यह परपंरा हिन्दुस्तान में आजादी के साल से ही पड़ी हुई है। यह कोई आज की परपंरा नहीं है। इसलिए आज के नेताओं को देखकर मत रोईये।
उस जमाने के जो सबसे बड़े नेता माने जाने वाले लोग सत्ता मिलने से पहले गाय के कत्ल का विरोध करते हैं और सत्ता मिलने के बाद यह कहते हैं कि गाय के कत्ल चालू रहना चाहिये। इससे ज्यादा विरोधाभास और क्या हो सकता है। और वो
दोनो आदमी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और पंडित जवाहरलाल नेहरु भूल गये कि हिन्दुस्तान .. में गाय के कत्ल को रोकने के लिये एक केन्द्रीय कानून बनाने की बात उन्होंने कही
थी। आजादी के पहले और आजादी के साल में वही नहीं हो पाया और आज तक गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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