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________________ • 4. दिन में तीन बार दो - दो बूंद गौमूत्र की डालें, साथ ही शहद नींबू, गुलाब जल आदि की बूंदें भी डालें। 5. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ . परत (fold) कर छानकर पीयें। . या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 6. प्रतिदिन छाछ या गौ तक्रारिष्ट या गौ तक्रासव का सेवन करें। 7. दूध में मुनक्का या काली मिर्च औटाकर पीयें।। अपथ्य : खटाई, तली चीजें, मैदा, बेसन, गर्म मसाले, टी. वी., कॉम्प्युटर, देर तक .. जागना, सूर्योदय के बाद उठना पथ्य : पालक, गाजर, आँवला, हरा धनिया, बादाम (भिगाकर घिस कर लेने पर ही उपयोगी), सुबह-सुबह हरी घास पर नंगे पैर चलना विशेष : 1. कब्ज न होने दें। 2. चश्मा उतरने के बाद भी तीन महीने तक ऊपरोक्त उपचार करें। 4. रतौंधी (रात को न दिखना) यह बीमारी विटामिन 'ए' की कमी से होती है। विटामिन 'ए' चिकनाई में घुलकर ही आँखों तक पहुंचता है। चिकनाई की कमी से विटामिन 'ए' का शोषण नहीं हो पाता। घी में खुद में ही विटामिन 'ए' होता है, अत: इस बीमारी में घी का विशेष रूप से सेवन करना चाहिए। कमजोर दृष्टि के लिए किये जानेवाले सभी उपाय इसमें करने चाहिए। नोट : विटामिन 'ए' का सीधे कैप्सूल रूप में सेवन के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं। 5. मोतियाबिंद (Cataract) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. रात को सोते समय नाक में दो - दो बूंद घी डालें। 3. त्रिफलादि घृत का सुबह-शाम सेवन करें। 4. गौमूत्र को तांबे के पात्र में उबालकर ठंडाकर छान लें। प्रतिदिन 4 बार इसकी दो-दो . बूंदें डालें। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा ... . 113
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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