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___ज्ञानेन्द्रियों के रोग
नाक के रोगों का श्वसन संस्थान के रोगों में वर्णन आ चुका है।
. . आँख आना (Conjunctivitis) .
आँख आने पर एकदम ताजा गोबर (जो जमीन पर 15-20 मिनिट से अधिक न पा हो) बंद आँख पर रखकर हल्की पट्टी बांधकर लेट जायें। तीन घंटे में आँखें ठीक हो जायेगी। रात को सोते समय लगायें और रात भर रहने दें तो सुबह तक लाली भी मिट जायेगी।
या 1. आँख को बार-बार गौमूत्र से धोयें। . 2. आँख में कच्चे दूध की बूंदें टपकायें और उस पर दूध में भीगा रूई का फाहा रख दें। 3. नाक में घी डालें। अपथ्य : खटाई, मिर्च, टी. वी., कॉम्प्युटर, आँख मसलना, तेज धूप, पढ़ना, किसी से हाथ मिलाना या किसी भी रूमाल, तौलिये से मुँह पौंछना
.. 2. आँखों में दर्द या चुभन 1. नाक में घी डालना इसका सबसे तेज व प्रभावी उपचार है। 2: त्रिफलादि घृत का सेवन करें। 3. आँख में गौमूत्र की बूंदें डालें। अपथ्य : खटाई, टी. वी., कॉम्प्युटर, लेटकर पढ़ना पथ्य : सिर में तेल की मालिश . विशेष : तकलीफ तुरन्त ठीक होने पर भी कम से कम 15 दिन ऊपरोक्त. उपचार
करें।
_ . 3. कमजोर दृष्टि . . 1. रात को सोते समय नाक में दो- दो बूंद घी डालें। 2. प्रतिदिन दोनों समय त्रिफलादि घृत का सेवन करें। 3. रात को सोते समय पैर के तलवों पर घी लगाकर काँसे के बर्तन से तब तक रगड़े, जब तक तलवे काले न हो जायें। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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