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भामाशाह
भामाशाह—कृपासागर ! यह आपकी गुणग्राहकता है, अन्यथा मैं एक आज्ञापालक के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । यह आज्ञा भी गत आज्ञाओं के तुल्य शिरोधार्य है ।
प्रतापसिंह - आपकी स्वीकृति मात्र से मेरा चिन्ता-भार उतर गया । अब आप अपनी इच्छानुकूल स्वागत सामग्री की व्यवस्था कर लें ।
भामाशाह - इस ओर से आप निश्चिन्त रहे । मेरी सावधानी स्वागत में कोई त्रुटि न रहने देगी । भोजन का प्रबन्ध भी राजकीय अतिथि के अनुरूप ही किया जायेगा पर ( आकस्मिक मौन ) प्रतापसिंह- - पर क्या ? अपूर्ण वाक्य को पूर्ण होने दीजिये ।
भामाशाह - पर भोजन के समय उनका साथ कौन निभायेगा ?
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प्रतापसिंह - यह अवश्य विचारणीय है, क्या युवराज अमरसिंह उपयुक्त न होंगे ?
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भामाशाह —— उनसे अधिक और कौन उपयुक्त हो सकता है ? वे मुझे व्यवस्था करने में कुछ परामर्श भी दे सकेंगे, अतः उनसे मिल लेना सुविधाजनक होगा ।
प्रतापसिंह - मिल लीजिये, कोई हानि नहीं ।
( भामाशाह का आगमन
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पटाक्षेप
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