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भामाशाह
नहीं की जा सकती । अतः मैं शीघ्र ही सपरिवार रणथम्भौर पहुंचने का प्रयत्न करूंगा ।
दूत - साधुवाद ! इस स्वीकृति से मेरे आने का प्रयोजन सफल हो गया, अब मैं चलता हूं। वहां आपके निवास आदि की सभी व्यवस्था कर रखूंगा ।
भारमल - आप मेरी ओर से निश्चिन्त हो कर जाइये। आज से ठीक एक पक्ष उपरान्त आप मुझे रणथम्भौर में ही पायेंगे ।
पटाक्षेप
स्थान
अङ्क २
दृश्य १
- अलवर में भोमा नाहटा की गृह वाटिका
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समय - -सन्ध्या ।
( एक ओर से पूर्वीय वेष भूषा से अलंकृत, वीणा-धारिणी अलका सुन्दरी का आगमन और अशोक वृक्ष के नीचे बैठ वीणा के तार झंकृत करते हुए स्वरआलापन )
गीत
मधु-ऋतु का सुख मधुर मिलन में ।
पिकी आम्र कोरक से लिपटी, गुँजा रही यह गान गगन में । मधु-ऋतु का सुख मधुर मिलन में ॥
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