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सम्पत्ति-दान-यज्ञ का प्रथम होता
भामाशाह ( ऐतिहासिक नाटक)
अङ्क १
दृश्य १ स्थान-भारमल्ल का भवन । समय-सन्ध्या ।
( पुत्र जन्मोत्सव का उल्लसित वातावरण, द्वार पर शहनाई की ध्वनि, सौरगृह में सुहागिन सुन्दरियों के सोहर गान, क्रमशः अनेक प्रतिष्ठित नागरिकों का आगमन, भारमल्ल द्वारा ताम्बूल, इत्र आदि से सम्मान प्रदर्शन, अनन्तर पाव में पंचांग दबाये एक तिलकधारी ज्योतिषी का आगमन, 'नमस्कार विप्रवर' 'नमस्ते गुरो' आदि शब्दों द्वारा उपस्थित मण्डली की और से अभिवादन, सहज हास्य पूर्वक अभिवादन का प्रत्युत्तर देते हुए आसन ग्रहण ) ___ मारमल्ल-भूदेव ! आज मेरी भार्या की कुक्षि से जन्म लेकर एक शिशु ने मुझे पिता बनने का अवसर दिया है । उसी नवजात बालक का भाग्यफल श्रवण और जन्मपत्रिका निर्माण के निमित्त आपको कष्ट दिया गया है।
ज्योतिषी-शाह ! इसमें कष्ट क्या ? यह तो हमारा कार्य है। मैं पूजा गृह में सन्ध्या-वन्दन कर रहा था, उसी समय आपके सेवक