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________________ भामाशाह ताराचन्द्र-चैन कैसे पड़े ? आप शैशव से ही महाराणा के साथ हर समय रहे हैं; दुःख और सुख में सदैव उनका साथ दिया है । अतः उन्हें विपन्नावस्था में त्याग चैन पाना असम्भव है । इसके अतिरिक्त महाराणा के दिन भी संकट में कट रहे होंगे । हमारे सामने ही उनकी समस्त शक्तियां क्षीण हो चुकी थीं । अब तक के अविरल संग्राम से वे और भी साधनहीन बन गये होंगे ? भामाशाह-सम्भावना कुछ ऐसी ही है। चलो अब चल कर हम उनकी चिन्ताओं को घटाने का प्रयत्न करें। पटाक्षेप दृश्य ७ स्थान-मेवाड़ का चूलिया ग्राम ( महाराणा प्रतापसिंह और रामा सहाणी ) प्रतापसिंह-सहाणी ! भामाशाह को मालवा की ओर गये पर्याप्त समय हो गया, पर अभी तक नहीं लौटे। ___रामा०–सम्भवतः अभीष्ट सिद्ध करने में अधिक समय लग गया होगा ? प्रतापसिंह-हो सकता है, इसके अतिरिक्त यवन-सेना से भी आक्रान्त होने की सम्भावना है। कारण गुप्तचरों द्वारा शाहबाज खां के मालवा की ओर जाने के समाचार उपलब्ध हो रहे हैं । रामा-यदि वास्तव में भामाशाह ऐसी किसी विपत्ति के जाल में उलझ गये हैं, तो यह अत्यंत शोचनीय है ।
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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