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________________ भामाशाह प्रतापसिंह - जब है ही नहीं, तो दृष्टिगोचर क्या हो ? पर जो यहां विद्यमान हैं, उन्हीं में से किसी योग्यतम का निर्वाचन करना होगा । द्वितीय सा- आपका कथन सत्य है, मेरी सम्मति में जब तक भामाशाह मालवा से लौट न आयें तब तक के लिये रामा सहाणीको ही इस पद पर नियुक्त कर लिया जाये । प्रतापसिंह – यह सम्भव है, पर रामा सहाणी से स्वीकृति ले लेना आवश्यक है । द्वारपाल ! इधर आओ! ( द्वारपालका प्रवेश) जाओ, रामा सहाणीको लिवा कर शीघ्र उपस्थित होओ। द्वारपाल - जो आज्ञा । ( द्वारपालका गमन, कुछ क्षणोपरान्त रामा सहाणी का अभिवादन करते हुए प्रवेश ) प्रतापसिंह – आइये, इधर पार्श्व के आसन पर विराजिये । रामा सहाणी ( अपना आसन ग्रहण कर ) कहिये, अन्नदाता ! आज सेवक को कैसे स्मरण किया ? प्रतापसिंह — आज एक आवश्यक कार्य के हेतु ही यह कष्ट दिया गया है। आपको विदित ही है कि भामाशाह मालवा की ओर गये हैं । उनके अभाव में मन्त्रिपद रिक्त हो गया है, अतएव मेरी इच्छा है कि आप इस पद को स्वीकार करें । रामा सहाणी—( आन्तरिक आहाद को गोपन करते हुए ) पर मुझ जैसे अयोग्य व्यक्ति से यह गुरुभार वहन कैसे सम्भव होगा ? प्रताप सिंह - इसकी आप चिन्ता न करें, मुझे इस समय केवल आपकी स्वीकृति मात्र आवश्यक है । १०१
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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