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________________ भामाशाह भामाशाह-आपकी आज्ञा शिरोधार्य है, मैं अभी ताराचन्द्र से. परामर्श कर मालवा की ओर प्रस्थान करता हूं। प्रतापसिंह-जाइये, विलम्ब मत कीजिये, यदि सम्भव हो तो कल ही यहां से प्रस्थान कर दीजिये। . भामाशाह-ऐसा ही होगा । मैं आज ही इस दीर्घ यात्रा का सारा प्रबंध कर लंगा। (गमन) पटाक्षेप दृश्य ३ स्थान-महाराणा प्रतापसिंह का सभा भवन समय-संध्या (महाराणा प्रतापसिंह और सामन्तगण ) प्रतापसिंह-प्रिय सामन्तों ! जिस दिन से मैंने राज्य-सत्ता ग्रहण की, उसी दिन से भामाशाह अपने सत्परामर्श से शासन चलाने में मुझे सहयोग देते आये, पर इस समय उन्हें मालवा की ओर भेज देने से एक शीघ्र पूरणीय अभाव प्रतीत होता है। कारण राजनैतिक घटनाचक्रकी गति तीव्रतम है । ऐसी परिस्थितिका शान्ति से सामना करने के लिये भामाशाह के स्थान पर एक अन्य सचिव नियुक्त करना आवश्यक है । अतः विचारिये, कौन महाशय इस पद का उत्तरदायित्व निभाने योग्य हैं ? एक सामन्त-नरेन्द्र ! भामाशाह के समान योग्य व्यक्ति मुझे मेवाड़ भर में दृष्टिगोचर नहीं होता।
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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