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________________ (४०) वर्षादौ दिवसादौ तु यस्य जन्म प्रवर्तते । स दीर्घायुर्बुधैर्वाच्यो ज्योति शास्त्रानुसारिभिः 1 ॥१९९॥ त्रिलोकीतिलकः प्राज्यप्रभावोऽतिशयाधिकः । तीर्थकृतपूज्यपुण्यात्मा मध्यरात्रोद्भवः पुमान् ॥२०॥ 'दौ प्रहरी घाटिकाहीनी द्वौ प्रहरी घटिकाधिको । विजया नाम योगोऽयं सर्वकायप्रसाधकः ॥२०१॥ वर्षान्त दिक्सान्ते च यस्य जन्म ध्रुवं भवेत् । अल्पायुः स च विज्ञयो दिव्यशास्त्रविचक्षणः ॥२०२॥ मासमध्येषु यत्संख्यदिवसे जायते पुमान् । तत्संख्यवर्षभुक्तौ तु लक्ष्मीभवति निश्चितम् ॥२०३॥ वर्षादि एवं दिनादि में जिस मनुष्य का जन्म हो, ज्योतिःशाखवेत्ताओं को उसे दीर्घायु कहना चाहिये ।।१६६।। जिस मनुष्य का जन्म मध्य रात्रि में अर्थात् १२ बजे रात को हो वह त्रैलोक्यश्रेष्ठ, महाप्रतापी, महातेजस्वी, तथा तीर्थस्थानों में जाकर पुण्य करने वाला होता है ॥२०॥ १२ बजे के एक घटी पहले से लेकर १२ बजे के बाद १ घटी तक का समय विजय नाम वाले योग का होता है जो सभी कार्यों को सिद्ध करता है ॥२०॥ वर्षान्त अथवा दिनान्त में जिसका जन्म हो वह निश्चय ही अल्पायु होता है । ऐमा दिव्य शास्त्रज्ञों ने बतलाया है ।।२०२।। जिस किसी भी मास के जितने दिन में शिशु उत्पन्न हों उसके अन्म से उतने वर्ष में निश्चय ही लक्ष्मी की वृद्धि होती है ।।२०३॥ 1. शास्त्रविशारदैः for शास्त्रानुसारिभिः A1. 2. शयान्तः for ०शयाधिक: A. AL. 3. विजयो for विजया A, Bh. 4. सर्वकार्याणि साधयेत् for सर्वकार्यप्रसाधकः A, A1. कार्यार्थ० for कार्य प्र. Bh. 5. तु for षु Bh. 6. यन्संख्ये दिवसे जन्म आवते for यत्संख्यदिवसे जायते पुमान् A.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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