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शिप्रिकास्थालकचोलरूप्यकाणां बुधोधिपः । भृगुः प्रतिमामरण गौल्यखाद्यशुमस्त्रजाम् ||३८|| मणिमुक्ताशृङ्गिरलादीनां नाथस्तु भानुमान् । नौक्षारयोः शशी सर्वस्थलधान्याधिपो बुधः ||३९|| श्रीखंडागुरुकर्पूरकस्तूर्यामोदिवस्तुनः ।
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स्वामी बृहस्पतिर्ज्ञेयो लग्नतत्त्वविदा पुनः ||४०|| एतेभ्यो महेभ्यो मणिमुक्तारत्नादिनिर्यायः ।। आत्मचिन्ता भवेद्भानी" कुटुम्बस्य भृगौ पुनः । चन्द्रे च जननीचिन्ता भार्याचिन्ता बृहस्पतौ ॥ ४१ ॥ भ्रातृव्यस्य बुधे चिन्ता पितृपितृव्ययो खौ । शनौ राहौ च शत्रणामेवं चिन्ताः प्रकीर्तिताः ॥४२॥
शित्रिका, स्थाल. कञ्चोल, तथा रुपया आदि मुद्राओं का बुध स्वामी है। प्रतिमा अर्थात् देवमूर्ति, गहने, गोलाकार खाद्य पदार्थ तथा शुभ मालाओं का शुक्र स्वामी हे ||३८||
मणि, मोती, सींघों वाले पशु तथा रत्न आदि वस्तुओं का स्वामी सूर्य है । नाव तथा खारी वस्तुओं का स्वामी चन्द्रमा है । सभी थल के धान्यों का स्वामी बुध है || ३६ ||
नारिकेल, अगर, कपूर, कस्तूरी आदि सुगन्धित वस्तुओं के स्वामी बृहस्पति हैं | लग्नतत्त्व के ज्ञाता को इस प्रकार जानना चाहिये ||४०||
[ इन ग्रहों के आधार पर मणि, मोती, और रत्न आदि का निर्याय सममना चाहिये । ]
सूर्य यदि सबल हो तो अपनी चिन्ता होनी चाहिये । इसी तरह शुक्र से कुटुम्ब की, चन्द्रमा से माता की, गुरु से स्त्री की चिन्ता होनी चाहिये || ४१||
बुध यदि सबल हो तो भाई के पुत्र की, सूर्य यदि सबल हो तो पिता तथा चचा की, शनि और राहु यदि सबल हों तो शत्रओं की चिन्ता होनी चाहिये ||४२||
1. स्वाद्य for खाद्य Bh. 2. भौमे tor भानो A, Al 8. दुर्बलस्य for कुटुम्बस्य Amb