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श्रीन कालान् त्रिषु लोकेषु यस्माद्बुद्धिः प्रकाशते । तत् त्रैलोक्यप्रकाशाख्यं ध्यात्वा शास्त्रं प्रकाश्यते ॥९॥ ब्रह्मणाऽचेष्टितं साक्षात् ज्ञानमानन्दमिश्रितम् । स्फुटीकर्तुमिवारब्धं चतुर्जेनतनूद्भवम् ॥१०॥ ब्रमो ग्रहरहः, सौम्याः सोमज्ञगुरुभार्गवाः । तमोऽर्कार्किकुजाः कराः राहोः केतुश्च सप्तमः ॥११॥ सक्ररो ज्ञः शश्यफलश्चतुर्दश्यावहस्रये । शनिराहुबुधाः क्लीवाः शुक्रन्द स्त्री परे नराः॥१२॥ बुधः शिशुयुवा भौमः शुक्रन्दू मध्यमौ परे । वृद्धा बुधे विधौ काले बालिका स्त्री प्रकीर्तिता ॥१३॥
तीनों कालों में, तीनों लोकों में, जिस से बुद्धि का प्रकाश होता है, इस प्रकार के त्रैलोक्यप्रकाश नामक शास्त्र का मैं ध्यानपूर्वक प्रकाश करता हूँ ॥६॥
आनन्दयुक्त जिस ज्ञान का ब्रह्मा ने साक्षात् अनुभव किया, जैन के चार आश्रमों से उत्पन्न उस ज्ञान को मैंने प्रकट करना प्रारम्म किया है ॥१०॥
प्रहों के रहस्य को हम कहते हैं । चन्द्र, बुध, बृहस्पति और शुक्र शुभ ग्रह है। राहु, सूर्य, शनि और मंगल पापग्रह है । राहु से सातवां केतु भी (पापग्रह ) है ।।११।।
बुध अथवा चन्द्रमा यदि ऋरग्रह के साथ पड़े हों तो चतुर्दशी आदि तीन दिनों में उनका शुभ फल नहीं होता। शनि, राहु और बुध -ये नपुंसकग्रह है। शुक्र और चन्द्रमा स्त्रीप्रह हैं। इनके अतिरिक्त अन्य ग्रह पुरुष है ॥१२॥
. बुध बालक है। मंगल युवा है । शुक्र और चन्द्रमा मध्यम अवस्था के हैं। इनके अतिरिक्त अन्य ग्रह वृद्ध हैं। प्रश्नकाल के लग्न में बुध वा चन्द्रमा हो तो स्त्री बालिका होती है ।।१३।।
1. This pada clearly expresses the antiquity and the Aryan origin of this science, although owing to the perversity of the age it spread amongst the Mlecchas (Cf. v. 6). 2. ग्रहहरं for प्रहरहः A1, 3. शस्यफल० for शश्यफल०. Bh. 4. श्वतुर्दिशाद्य for श्चतुदश्याध A,A6. बाले for काले A1, B.