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धनुर्वागाचक्र से मृत्यु, जय, भंग और धनक्षय ५८६-५८ कुन्त चक्र और उममे शुभाशुभज्ञान ५६०-५६१ द्वादश पत्रों का चक्र
५६२ महामारी भूमि उसमे जयाज्य निर्याय
५६३ रुद्रभूमि उमसे जयाजय निर्णय
५६४ ५६५ क्षेत्रपाली भूमि उससे जयाजय निर्णय ५६६-५६८ शरीर छाया से आक्रमगा में श्रेष्ठ दिशा का ज्ञान ५६६ सूर्य, चन्द्र, योगिनी, आदि का दिग्विचार ६००-६०१ नरचक्र
६०२-६०४ नरचक्र से घात-अघात विचार
६०५ ६१२ ___ सन्धिविग्रहप्रकरण शत्र-विग्रह योग
६१३-६१५ सन्धि में लाभ
६१६ - ६१७ सन्धि में हानि
६१८ सन्धि-विग्रह योग
६१६ अष्टमप्रकरण वृतज्ञान वृत्तों का बल नथा अबल
६२३ स्त्री का पुष्पवनी न होना
६२४ स्त्री का पुष्पवनी होना
६२५ पुष्प के वर्ण
६२६-२७ योनिस्थान में ग्रहों के स्वभाव सं पुष्पज्ञान ६.८-३०
दोषप्रकरण सूर्य और चन्द्रमा से पीड़ा
६३१ मंगन से पीडा
६३२ बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु से क्लश
६३३-३२ पाप ग्रहों से क्लेश
६३५ ६३८ नच नीच विचार केन्द्र त्रिकोगा में दोष विचार अस्त्रग्रह तथा नीचप्रहविचार क्षेत्रपाल कृत, यतकृत तथा गोत्र कृत दोष शाकिनी आदि दोष
६४३-६४५
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