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( १६६ ) सिंह सिहांशके सूर्ये चन्द्रे तत्रैव संस्थिते । मृगलयोदये जाते तदिने चासिना वधः ।। ८९५ ॥ मृगे मृशाशके सौरे चन्द्रे तत्रैव संस्थिते । प्रश्ने च मिथुने जाते दिनचन्द्रेऽसिना वधः ॥ ८९६ ।। दिनेन्दौ सिंहपूजादि तीर्थस्नानं च दक्षिणा । पुण्यांशे जायते पुंसामकस्माद्विभवोदयः ।। ८९७ ।। दिनेन्दौ दशमेऽकस्मात्पुसां भवेत् पदं महः । गुरौ शुक्र पदेशे च रवियुक्ते नृपात्पुनः ॥ ८९८ ॥ दिनेन्दौ लाभगे वाच्यं पञ्चदशघटीलयम् । सकलैः खेचरैयुक्ते निधिवस्त्रादिसम्पदम् ।।८९९।। व्ययगे च शुभैयुक्त विवाहादौ च सद् व्ययम् । दिनेन्दौ पृच्छता करधने व्यये च लग्नतः ॥९८०॥
सिह और सिंह के अंश में सूर्य, चन्द्रमा हो और मृगशिरा आम हो तो उसी दिन शस्त्र से वध कहना चाहिये ।। ८६५।।
प्रश्न काल में मिथुन लग्न हो उस में चन्द्रमा स्थित हो या मृगशिरा, या मृगशिरा के अंश में शनि हो उस में चन्द्रमा हो तो शस्त्र से वध कहना चाहिये ॥८६६ ॥
दिनचर्या प्रश्न में चन्द्रमा सिंह में हो तो उस दिन पूना, पाठ, तीर्थ स्नान, दक्षिगा, इत्यादि करते हैं। और यदि पुण्य भाव के अंश में हो तो अकस्मात विभव का उदय होता है ॥८६॥
चन्द्रमा यदि दशम में हो तो पुरुष को अकस्मात पद का लाम होता है। गुरु, शुक्र और पदेश, यदि रवि से युक्त हो तो राजा से पद का लाभ होता है॥८॥
चन्द्रमा लाम में हो सो पन्द्रह घटी लय होता है और सब शुभ प्रहों से युक्त हो तो निधि, तथा वस्त्रादि सम्पत्ति प्राप्त होती है ।। || ___1. दक्षिण for दक्षिणा Bh. 2. महत for महः Bh. 3. सम्पदः for सम्पदम Fh.