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बुधे च शमी' कर्कन्धू शुक्रे च कदली मता । चन्द्रे राजादनी वाच्या शनौ गुन्दीमुखाः पुनः ||६२२ ||
बलयुक्तैर्बलाढ्यास्तैर्वाबलैर्निष्फलाः पुनः । भग्नाः शुष्काश्च ते सर्वे क्रूरयुक्तेक्षिता ग्रहैः ।। ६२३|| अष्टमे च स्थिते स्थाने त्वष्टमेशे बलोत्कटे । ऋतुकाले स्त्रियां नास्ति पुष्पं मूलत एव हि || ६२४ ॥ पूर्णबलः शनिस्त्वेकः कालिमानं वदत्ययम् । ऋतौ सति च पुष्पस्य पृच्छालष्टमे स्थितः ||६२५|| राहुरेको जलाभं तु माञ्जिष्ठाजलसन्निभम् । बुधैर्विचित्रवणं तु कदाचित् कीदृशं पुनः ||६२६ ॥ श्वेतच्छायं स्थितः शुक्रो भौमे रक्तं तु पुष्पकम् । कपिलं मर्कटं सूर्ये प्रवाहो धवलो विधौ ||६२७||
बुध से शमी और बदरी फल के पेड़, शुक्र से केला, चन्द्रमा से राजादनी और शनि से गुन्दी इत्यादिक वृक्षों के ज्ञान करें ||६२२ ||
यदि ये ग्रह बलवान हों तो तत्तद्वृक्षों को बलवान कहना चाहिये और जो ग्रह निर्बल हों उनके वृक्ष निर्बल, और फलरहित होते हैं । और यदि प्रह क्रूर ग्रह से युक्त हों या देखे जाय तो उनके वृक्षों को शुष्क, टूटा हुआ समके ||६२३||
स्त्री के ऋतुकाल में बलवान् अष्टमेश यदि अष्टम भाव में स्थित हो तो वह पुष्पवती नहीं होती ||६२४ ||
ऋतु होने पर प्रश्न काल में लग्न से अष्टम भाव में एक बलवान शनि हो तो कुछ काला उसका पुष्प होता है ||६२५||
हो
और एक राहु वा एक गुरु हो तो जल के समान और बुध तो अनेक वर्ग का होता है ||६२६||
शुक्र हो तो श्वेत वर्ण के समान और मंगल हो तो रक्त वर्ण सा और सूर्य हो तो कपिल, और मर्कट जैसा वर्ण, और चन्द्रमा हो तो श्वेत वर्ण होता है ।। ६२७
1 शनौ for शमी Bh. 2 बलयुद्धो तैर्बलाद्यास्तै for बलयुक्तैर्बलाढ्यास्तै A., बलयुक्तौ बलाढ्यास्ते Bh.