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________________ (७) यदि लगपतिर्लमे मादेशकरी प्रिया । लमेशः सप्तमे स्थाने जायादेशकरः पतिः ॥३९५॥ यदा लमपतिर्लमे जायेशः सप्तमे यदि । तदा प्रीतिईयोर्वाच्या समानैव परस्परम् ॥३९६॥ यदा भार्यापतिर्लमे लमेशः सप्तमे यदि । अन्योऽन्यप्रीतिपीयूषपूरपूरितसम्मदौ ॥३९७॥ यदा लमेशजायेशौ लमज्य भवतो यदि । तदा गाढतरी* प्रीतिस्तोलिता द्वितयेपि च ॥३९८।। यदा जायापतिर्लन जायास्थानस्थितो यदि । प्राधान्येनैव भार्यायाः समा प्रीतियोभवेत् ॥३९९।। चतुर्भग्या प्रीतिः जायास्थानं यदा तुंगे' प्रश्ने भवति लग्नतः । रूपलावण्यजन्मारुतमा भर्तृतोऽङ्गना ॥४०॥ लग्नेश यदि लम्र में रहे तो स्त्री भर्वा की आज्ञाकारिणी होती, है। यदि लग्नेश सप्तम स्थान में रहे तो पति पत्नी का आज्ञाकारक होगा ।। ३६५॥ - लग्नेश यदि लग्न में, सप्तमेश सप्तम स्थान में रहे तो स्त्री और पुरुष दोनों में पारस्परिक प्रेम कहना चाहिये ।। ३६६ ।। यदि सप्तमेश लग्न में और लग्नेश सप्तम स्थान म हो तो भी स्त्री पुरुष पारस्परिक प्रेमामृत से युक्त सम्पदा वाले होवें ।। ३६७ ॥ लग्नेश और सप्तमेश दोनों यदि लम में रहें तो दोनों में प्रगाढ प्रेम होता है ।। ३६८ ॥ जब लग्नेश और सप्तमेश दोनों सप्तम स्थान रहें तो स्त्री की प्रधानता से दोनों में पारस्परिक प्रेम होता है ।। ३६8 ।। प्रश्नकाल में यदि सप्तम स्थान उच्च हो ता रूप, लावण्य, वंश श्रादि से स्त्री पति से उत्तम होती है ॥ ४०॥ 1, प्रियः for पतिः A, A1 2. सप्तमो for सप्तमे A, AL. 3, सम्पदौ for सम्मदौ A, A1 4 ०तरा for तरी A. 5. लक्षमा येशो for जायापतिलग्ने A. 6. The text reads वदेत् for भवेत 7.तुगं for तुंगे A, A, Bh.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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