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________________ इति योगे' दुवैर्वाच्य तत्र वर्षे सनद्रवः । अन्ये योगा बुधैर्वाच्यास्तद्वर्षे पुत्रदायकाः ॥३५४॥ चन्द्रशुक्रो यदा गर्भ लामे वाऽथ स्थितौ यदि । पुण्यवतां तदा वाच्यमपत्यजन्म निश्चितम् ॥३५५॥ लामपञ्चमसंस्थौ चेत्प्रपश्येतः परस्परम् । चन्द्रशुक्रौ तदापत्यं जायते नात्र संशयः ॥३५६।। यदेन्दुः भौमशुक्राम्यां गर्भो वा वीक्षितः शुभैः । तदासौ जायते पुत्रो नात्र कार्या विचारणा ॥३५७।। मूर्तेस्तु यत्तमे स्थाने बलायो" भृगुनन्दनः । गर्मिण्या जातगर्भस्य मासानाख्याति तावतः ॥३५८॥ चन्द्रदृष्टेग्धमयुक्ते करदृष्टे च पञ्चमे । नीचस्थेऽस्तमिते गर्ने नैवापत्यं प्रजायते ॥३५९।। __उस वर्ष में पुत्रोत्पत्ति कहनी चाहिये । इमो प्रकार अन्य योग भी पुत्रदायक होते हैं ॥ ३५४ ॥ चन्द्रमा और शुक्र गर्भस्थान वा लाभस्थान में रहें तो पुण्यवान व्यक्तियों को अवश्य सन्तान होवे ।। ३५५ ।। वेही यदि ग्यारहवें तथा पांचवें स्थान में रहें तथा पारस्परिक दृष्टि हो तो अवश्य सन्तानोत्पत्ति कहनी चाहिये ।। ३५६ ।। यदि चन्द्रमा गर्भस्थान में हो, मंगल और शुक्र से देखा जाय वा अन्य शुभ प्रहों से देखा जाय नो पुत्र अवश्य उत्पन्न होगा। इस मे मन्देह नहीं ॥ ३५७ ॥ लम से जितने स्थान में सबल शुक्र रहे उतने मासों में गर्भवती स्त्री का प्रसव कहना चाहिये ।। ३५८ ॥ चन्द्रमा यदि पञ्चम स्थान को देखे और वह पापग्रहों से युक्त समादृष्ट हो और वह नीच तथा अस्त गृह में पड़ा हो तो सन्तान नहीं होती ॥ ३५६ ॥ __1. योगो for योगे A. 2. वाच्यो for वाये A. 3. The text reads ag 4: for 239: 4. hat: for auto A. 7, The text reads लाल्या for बलाढ्यो A.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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