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________________ ये सभी रस मूल रस को सहयोग प्रदान करते हैं। फलागम की स्थिति में वीर परक भावों का मार्गान्तरीकरण शांत रस के रूप में हो जाता है। > पात्र चित्रण महाकाव्य में पात्रों की भूमिका अहम् होती है। पात्रों का सृजन मूलकथा को ध्यान में रख कर ही किया जाता है। पात्र जितने ही जीवन्त होगें पाठक पर उसका उतना ही प्रभाव पड़ेगा। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार 'जीवन्त पात्र केवल श्वास-प्रश्वास ही नहीं लेते, सिर्फ हमारी भाँति नाना प्रकार की संवेदनाओं का ही अनुभव नहीं करते बल्कि वे आगे बढ़ते हैं, पीछे हटते हैं। अपनी उदात्तवाणी और स्फूर्ति प्रद क्रियाओं से हमारे अंदर ऊपर उठने का उत्साह भरते हैं, हमें साथ ले चलते हैं, उमंगते हैं और सन्मार्ग पर ले चलने में जो विघ्न बाधाएँ आती हैं, उन्हें जीतने का प्रयास करते हैं । (12) आचार्य महाप्रज्ञ ने पात्रों के माध्यम से मानव मन के सुख-दुख, उत्थान-पतन, राग-विराग, संकल्प-विकल्प आदि स्थितियों की तर्कमय विवेचना करते हुए मानव जगत को उत्थान का एक दिव्य संदेश दिया है। पात्रों का चित्रण निम्नानुसार किया जा सकता है : ऋषभ : ऋषभ आदि तीर्थकर तथा कर्मयुग के सिंह द्वार को खोलने वाले पहले पुरूष हैं। वे महाकाव्य के महानायक हैं। इनका व्यक्तित्व विराट एवं विशाल है। अतीन्द्रिय ज्ञान से मण्डित इनका स्वभाव सहिष्णु, प्रजावत्सल, कारूणिक एवं विरागी है। ये युगपुरूष, तटस्थ तथा आत्मप्रदेश के अन्वेषक हैं। संपूर्ण महाकाव्य में इनके व्यकितत्व की चरम व्याप्ति है। परिवार, नगर, समाज, राज्य के नवोत्थान एवं नवनिर्माण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। 'नेता और रस' शीर्षक के अंतर्गत ऋषभ के चरित्र को रेखांकित किया जा चुका है जिसके कारण विस्तार का संवरण करना ही उचित होगा। 1251
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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