________________ मैत्रीभावना - सर्व जीवों के प्रति मैत्री चितवन करना, मेरा कोई दुश्मन ही नहीं ऐसा चितवन करना, सर्व जीवों का हित चाहना। प्रमोद भावना - उपकारी तथा गुणी जीवों के प्रति, गुण के प्रति एवम् वीतराग धर्म के प्रति प्रमोदभाव लाना। करुणा भावना - अधर्मी जीवों के प्रति, विपरीत धर्मी जीवों के प्रति एवम् अनार्य जीवों के प्रति करुणाभाव रखना। मध्यस्थ भावना - विरोधियों के प्रति मध्यस्थभाव रखना। मुखपृष्ठ की समझ अपने जीवन में सम्यग्दर्शन का सूर्योदय हो और उसके फलरूप अव्याबाध सुखस्वरूप सिद्ध-अवस्था की प्राप्ति हो- यही भावना।