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संसार का किनारा बहुत नजदीक आ गया है। इसलिए भक्ति अर्थात् संवेग समझना कि जो वैराग्य अर्थात् निर्वेद सहित ही आत्मप्राप्ति के लिए कार्यकारी है। • अभयदान, ज्ञानदान, अन्नदान, धनदान, औषधदान में अभयदान अतिश्रेष्ठ है। इसलिए सबको प्रतिदिन जीवन में जत्ना / यत्ना (प्रत्येक काम में कम से कम जीव हिंसा हो वैसी सावधानी) रखना अत्यंत आवश्यक है। • पैसा पुण्य से प्राप्त होता है या मेहनत से अर्थात् पुरुषार्थ से ? उत्तर - पैसे की प्राप्ति में पुण्य का योगदान अधिक है और मेहनत अर्थात् पुरुषार्थ का योगदान न्यून है; क्योंकि जिसका जन्म पैसापात्र कुटुंब में होता है, उसे कुछ भी प्रयत्न किए बिना ही पैसा प्राप्त होता है और कई लोग व्यापार में बहुत मेहनत करने पर भी पैसा गँवाते दिखाई देते हैं। पैसा कमाने के लिए प्रयत्न आवश्यक है, परंतु कितना ? क्योंकि बहुत लोगों को बहुत अल्प प्रयत्न में अधिक पैसे प्राप्त होता दिखता है, जबकि किसी को बहुत प्रयत्न करने पर भी कम पैसा प्राप्त होता ज्ञात होता है। इसलिए यह निश्चित होता है कि पैसे प्रयत्न की अपेक्षा पुण्य को अधिक वरते हैं। इसलिए जिसे पैसे के लिए मेहनत करना आवश्यक लगता हो, उन्हें भी नित्य चिंतन कणिकाएँ : ४५