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________________ कंदमूल के संबंध में हमने पहले देखा कि कंदमूल भक्षण से अनंत पाप लगते हैं तो किसी को प्रश्न होता है कि ऐसा कैसे है? उसका कारण (LOGIC) क्या है? उत्तर : हमने पूर्व में देखा, वैसे जो हम दूसरों को देते हैं, वही हमें प्राप्त होता है। इसलिए हम अपना जीवन गुज़ारने में जो दूसरे जीवों को दुःख देते हैं, वही हमें वापस (RECIPROCATE) मिलेगा। जैसे कि जब हम प्रत्येक वनस्पति का भोजन में उपयोग करते हैं, तब उसमें संख्यात जीव होने से जितना पाप लगता है, उसकी अपेक्षा कंदमूल अर्थात् अनंतकाय वनस्पति का भोजन में उपयोग करने से, उसमें अनंत जीव होने से, अनंतगुना पाप लगता है और इसलिए उससे अनंत दुःख आते हैं। ___इसीलिए कहा है कि पूर्ण जीवन में प्रत्येक वनस्पतिकाय का भोजन में उपयोग करने से जो पाप लगता है, उससे अनंतगुना पाप कंदमूल अर्थात् अनंतकाय वनस्पति का एक टुकड़ा खाने से लगता है, क्योंकि उस कंदमूल अर्थात् अनंतकाय के एक टुकड़े में असंख्यात प्रतर (LAYER) होते हैं, वैसे एक प्रतर में असंख्यात श्रेणियाँ (LINE) होती हैं, वैसी एक श्रेणी में असंख्यात गोले (BALL) होते हैं, वैसे एक गोले में असंख्यात ३४ * सुखी होने की चाबी
SR No.009385
Book TitleSukhi Hone ki Chabi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayesh Mohanlal Sheth
PublisherJayesh Mohanlal Sheth
Publication Year
Total Pages63
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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