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________________ मिल गयी और मैने ड्रिग्री के बजाय जाब को चुना। दूसरा अवसर 1987-1992 जब मुझे मैकेनिकल ईन्जिनीयरिंग Institution of Engineers India, Calcutta (Distance learning) से मिला, विषयों का अध्ययन तो किया परन्तु, Exam न दे सका। तीसरा अवसर 1995 मे मिला जब मेरा एडमिशन बी. टैक. कम्पयूटर साईंस (पार्ट टाइम) ग्वालियर मे हुआ, दो वर्ष तक सब ठीक-ठाक चला परन्तु 1997 मे मुझे बडौदा ट्रांस्फर कर दिया गया और फिर ड्रिग्री न ले सका। मै खुश हू कि मुझे कम्पयूटर का ज्ञान तो मिला। मेरे दादा स्व. श्री मुकुन्द लाल जैन, श्वेताम्बर स्थानकवासी तथा मेरी दादी स्व. श्री सूर सुन्दरी देवी दिगम्बर जैन का मुझ पर असीम प्रेम था तथा दौनो ही धार्मिक प्रवृति के थे, सो मेरे दादा मुझे स्थानक मे ले जाते थे वहाँ मुझे आचार्य श्री 108 फूल चन्द जी महाराज एंव उन्के शिष्य आचार्य श्री 108 जिनेन्द्र मुनि महाराज से कई बार प्रवचन सुनने का मौका मिला। मेरी दादी मुझे दिगम्बर मुनि के प्रवचन सुनाने के लिए ले जाया करती थी। सो बचपन से ही धार्मिक संसकारों का धनी रहा। मेरे पिता स्व श्री श्री पाल जैन, जो कि सामायिक प्रवति के थे एंव उनकी प्रेरणा से मेरठ शास्त्री नगर डी ब्लाक में भव्य मन्दिरका निर्माण हुआ। मेरी माता जी श्री मति प्रेम लता जैन जप तप में समय व्यतीत करती हैं। अतः धर से ही धर्म ध्यान की शिक्षा मिली। पच्चीस वर्ष की आयु मे मुझे बडे गाँव मन्दिर प्रागण मे दिगम्बर साधु को नवधा भक्ति के साथ आहार दान एंव धर्म चर्चा का लाभ मिला। महाराज श्री ने मुझे अणुव्रत का पाठ पढाया। तीस वर्ष की आयु मे मुझे आचार्य श्री 108 कल्यान सागर जी महाराज के सानिध्य मे सिद्ध चक्र का पाठ (एकासना के साथ) मेरठ मे करने का धर्म लाभ मिला। तभी से मुझे मोक्ष मार्ग का ज्ञान प्राप्त हुआ। 2008 में आर्थिक मंदी के चलते मेरी जाब चली गयी तथा मुझे फिर से धर्म-ध्यान का अवसर मिला। 2010 मे मुझे स्वपन मे दौ प्रतिमाएं खडी अवस्था में (मेरी जन्म नगरी) मे दिखीं एंव वैराग्य भाव उत्पन्न हुऐं। परन्तु वर्तमान मे मुझ पर मेरी माता जी एवं पत्नी की जिम्मेवारी होने के कारण दीक्षा न ले सका एवं घर से ही धर्म-ध्यान (ज्ञान, ध्यान, और तप) में आसक्त हुआ। 2012 मे अचानक से मेरी कलम चलने लगी एंव मोक्ष मार्ग एक अध्ययनरचित हुआ। walk on kidol, Liv Healthy and Gave invironment
SR No.009383
Book TitleMokshmarg Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain
PublisherRajesh Jain
Publication Year
Total Pages39
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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