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“मंगलाचरण” का हिन्दी भार्वाथ"
बिन्दु सहित ओंकारको योगी सर्वदा ध्याते हैं।मनोवांछित वस्तु को देने वाले और मोक्ष को देने वाले ओंकारको बार-बार नमस्कार हो।। दिव्यध्वनि रूपी मेध-समूह से जिसने संसार सम्बन्धी समस्त पाप रूपी मैल को धो दिया है, मुनिगण जिसकी तीर्थ के रूप मे उपासना करते है ऐसी जिनवाणी हमारे पापों को नष्ट करो। जिसने अज्ञानरूपी अंधेरे से अंधे हुये जीवों के नेत्र ज्ञान रूपी अंजन की सलाई से खोल दिये हैं उस श्री गुरू को नमस्कार हो।परम गुरू को नमस्कार हो परम्परागत आचार्य गुरू को नमस्कार हो।समस्त पापों का नाश करने वाला, कल्याणों का बढाने वाला, धर्म से सम्बन्ध रखने वाला, भव्यजीवों के मन को प्रतिबुद्ध - सचेत करने वाला यह शास्त्र “मोक्ष मार्ग एक अध्ययन” नाम का है। इसके रचियता, संग्रह कर्ता एंव शोध कर्ता, श्री राजेश कुमार जैन, मुरादाबाद, हैं।
महावीर स्वामी मंगल के कर्ता हों, गौतम गणधर मंगल कर्ता हों, कुन्दकुन्दस्वामी आदि आर्चाय मंगलकारी हों तथा जैन धर्म मंगलदायी होवे।सभी मंगलों में मंगल स्वरूप, सभी कल्याणकों को करने वाला, सभी धर्मों में प्रधान, जैन शासन जयवंत हो।
| हे श्रोताओं सावधानी से ध्यान लगाकर सुनिये।
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