SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर रूई, हल्दी, सौंठ लोहा, चादी आदि पदार्थ तेज होते हैं। 7. पुनर्वास नक्षत्र में रहने से उड़द, मूंग, सौंठ चावल, मसूर, नमक, सज्जी, लाख, नील सिल, एरंड, माजुफल, केशर, कपूर, देवदारू, लौंग, नारियल श्वेत वस्तु आदि पदार्थ महंगे होते हैं। 8. पुष्य नक्षत्र में रवि रहने से तिल, तेल मद्य, (शराब) गुड़, ज्वार, गुग्गुल, सुपाड़ी, सौंठ, मोम, हींग, हल्दी, जूठ, ऊनी वस्त्र शीश चांदी आदि वस्तुए तेज होती हैं। 9. अश्लेषा में रहने से अलसी, तिल, तेज, गुड़, रेमर, नील और अफीम महंगे होते हैं। 10. अश्लेषा में रवि के रहने से ज्वार, अरंड बीज, दाख, मिर्च, तेल और अफीम महंगे होते हैं। 11. पूर्व फाल्गुनी में रहने से सोना, चांदी, लोहा, घृत तेल, सरसों, अरंड, सुपाड़ी, नील, बांस, अफीम, जूट आदि तेज होते हैं। 12. उत्तरा फाल्गुनी में रवि के रहने से ज्वार, जो, गुड़, चीनी, जूट, कपास, हल्दी, हरड़, हींग, क्षार, और कत्था आदि तेज होते हैं। 13. चित्रा में रहने से गेहूँ, चना, कपास, अरहर सूत, केशर, लाख चपड़ा आदि तेज होता है। 14. स्वाति में रहने से धातु, गुड़, खाण्ड, तेल, हिंगुर, कपूर, लाख, हल्दी, रूई, जूट, आदि तेज होते हैं। 15. अनुराधा और विशाखा में रहने से चांदी, चावल, सूत, अफीम आदि महंगे होते हैं। 16. ज्येष्ठ और मूल में रहने से चावल, सरसों, वस्त्र, अफीम, आदि पदार्थ तेज होते हैं। 17. पूर्वाषाढ़ में रहने से तिल, तेल, गुड़, गुग्गुल, हल्दी कपूर, ऊनी वस्त्र, जूट चांदी आदि पदार्थ तेज होते हैं। 18. उत्तराषाढ़ और श्रवण में रवि के होने से उड़द मूंग, जूट, सूत, गुड़, कपास, चावल, चांदी, बांस, सरसों आदि पदार्थ तेज होते हैं। 19. घनिष्ठा में रहने से मूंग, मसूर और नील तेज होते हैं। शतभिषा में रवि के रहने से सरसो, चना, जूट कपड़ा, तेल, नील, हींग, जायफल, दाख, छुआरा, सोंठ आदि तेज होते हैं। 20. पूर्वाभाद्रपद में सूर्य के रहने से सोना, चांदी, गेहूँ, चना, उडद, घी, रूई रेशम, गुग्गुल, पीपरा गुडा, आदि पदार्थ तेज होते हैं। 21. उत्तराभाद्र पद में रवि के होने से सभी रस, धान्य, तेल एवं खेती में रहने से मोती रत्न, फल, फूल, नमक, सुगन्धित पदार्थ, अरहर, मूंग उड़द, चावल, लहसून, लाख, रूई और सब्जी आदि पदार्थ तेज होते हैं। ।। ॐ शन्ति।। =612
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy