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________________ स्वास्थ्य अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (192) संक्रांति के वारो का फल रविवार को सक्रान्ति का प्रवेश हो तो राजविग्रह, अनाज महंगा, तेल घी आदि पदार्थो का संग्रह करने से लाभ होता है। सोमवार को संक्रान्ति प्रवेश हो तो अनाज महंगा, प्रजा को सुख, घृत, तेल गुड चीनी आदि पदार्थो के संग्रह में तीसरे महीने लाभ होता है। मंगलवार को सक्रान्ति प्रवेश करे तो घी, तेल, धान्य आदि पदार्थ तेज होते है। लाल वस्तुओं में अधिक तेजी आदि आती है तथा सभी वस्तुओं के संग्रह में दूसरे महीने में लाभ होता हैं। बुधवार को सक्रान्ति का प्रवेश होने पर श्वेत रंग के अन्य पदार्थ महंगे तथा नीले, लाल और श्याम रंग के पदार्थ दूसरे महीन में लाभप्रद होते हैं। गुरूवार को सक्रान्ति का प्रवेश हो तो प्रजा सुखी, धान्य सस्ते, गुड, खंड आदि मधुर पदार्थो में दो महीने के उपरान्त लाभ होता है। शुक्रवार को सक्रान्ति प्रविष्ट हो तो सभी वस्तुएं सस्ती, लोग सुखी, सम्पन्न, अन्न की अत्यधिक, उत्पत्ति, पीले वस्तुए, श्वेत वस्त्र तेज होते हैं। और तेल गुड़ के संग्रह में चौथे मास में लाभ होता है। शनिवार को सक्रान्ति के प्रविष्ट होने से धान्य तेज, प्रजा दुःखी, राजविरोध, पशुओं को पीड़ा अन्न नाश, तथा अन्न का भाव भी तेज होता है। जिस वार के दिन संक्रान्ति का प्रवेश हो उसी वार को उसी मास में अमावस्या हो तो खर्पर प्रयोग होता है। यह जीवों का और धान्य का नाश करने वाला होता है। इस योग में अनाज में घट बढ़ चलती है जिससे व्यापारियो को भी लाभ नहीं हो पाता। पहले सक्रान्ति शनिवार को प्रविष्ट हुई हो, इससे आगे वाली दूसरी सक्रान्ति रविवार को प्रविष्ट हुई हो और तीसरे आने वाली मंगलवार को प्रविष्ट हो तो खर्पर प्रयोग होता है। यह योग अत्यन्त कष्ट देने वाला है। चोर लोग व म्लेच्छ लोग यात्री को व साधुओं को, नायकों को मारते हैं गणों का विरोध व राजा को राजदूत रोक लेते हैं। (193) रवि नक्षत्र फल 1. अश्विनी में सूर्य के रहने से सभी अनाज, सभी रस, वस्त्र, अलसी, अरंड, तिल, मैथी, लाल चन्दन, इलायची, लौंग, सुपारी, नारियल कपूर, हींग, हिग्लू आदि तेज होते हैं। 2. भरणी में सूर्य के रहने से चावल, जौ, चना, मोठ, अरहर, अलसी, गुड़, घी, अफीम मूंगा आदि पदार्थ तेज होते हैं। 3. कृतिका में श्वेत पुष्प, जौ चावल, गेहूं, मौठ, राई और सरसों तेज होती है। 4. रोहिणी में चावल आदि सभी धान्य अलसी, सरसों, राई, तेल, दाल, गुड़, खाण्ड सुपारी, रूई, सूत, जूट आदि पदामें तेज होते हैं। 5. मृग शिरा में सूर्य के रहने से जलोत्पन्न पदार्थ नारियल सर्व फल, रूई, सूत, रेशम, वस्त्र कपूर, चन्दन, चना आदि पदार्थ तेज होते हैं। 6. आर्द्रा में रविवार के रहने से मैथी, गुड़, चीनी चावल, चन्दन, लाल नमक, कपास, 611
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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