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________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर बराबर कूट कर कपडे से छान कर लें। मात्रा 3.2 से 4.8 ग्राम लेकर ऊपर मिश्री मिलाकर दूध पीना चाहिये, इससे स्वप्नदोष, वीर्य का पतलापन, शुक्रमेह, मूत्र के साथ वीर्य का जाना आदि धातु दोषों को मिटाकर वीर्य को शुद्ध व पुष्ट करता है। (184) कामेन्द्रिय (लिंग) में दृढता 1. लिंग में कमजोरी- एक तौला लौंग तीन माशा चमेली के तेल को जलाकर कपड़े से छानकर रात को कामन्द्रिय पर मालिश करें व पान का पत्ता बाँधे, नसे सख्त हो जाएगी। 2. कामेन्द्रिय में दृढता :- बेल के पत्तों के रस में शहद (चासनी) मिलाकर लिंग पर लगाने से कामेन्द्रिय में दृढता और मजबूती आती है। अथवा जायफल को भैस के दूध में पीसकर लिंग पर लेप करें और ऊपर से पान बांध दे। रात का बंधा हुआ सुबह खोलकर गुनगुने जल से धो दें चालीस दिन तक करे। बकरी का घी भी कामेन्द्रिय पर लगाने से इन्द्रिय बढ़ती है। 3. चमेली का तेल लिंग पर मलने से उसमें कड़ापन आ जाता है। अथवा चमेली के तेल में अश्वगंधा पीसकर लिंग पर लगाने से दृढ़ता आती है। 4. असगंध, ओंगा (अपामार्ग), केटरी, सफेद सरसों, कूट, सगर, पीपल, मिर्च काली समान भाग लें, चूर्ण कर बकरी के दूध में पीस कर उपयोग करने से स्तन और इंद्री दोनों की वृद्धि होती है। पुरुषेन्द्रिय दृढ़ता- असगन्ध, कूट, शतावर, बालछड़ और कटेरी के पुष्प का कल्क बनाकर उसे तिल के तेल में पका लें, फिर उस तेल की इन्द्रिय पर मालिश करने से इन्द्रिय में कठोरता आती है व वृद्धि होती है। यह तेल पुरुषेन्द्रिय को दृढ़ता एवं स्थूलता प्रदान करता है। 6. चमेली के तेल में कौड़ी या असंगध डालकर लिंग पर मालिश करने पर कमजोरी दूर होती 7. पुरुषेन्द्रिय दृढ़ता- भैंस के घी में कपूर मिलाकर इन्द्रिय पर मालिश करने से दृढ़ता आती है। 8. लिंग टेडा :- छोटी या बड़ी कटेरी (भटकटैया) के बीजों का सूक्ष्म पाउडर बनाकर सरसों के तेल में मिलाकर जड़ से ऊपर की ओर सुपारी को छोड़कर शिश्न पर मालिश करें, बाद में अंडी का पत्ता लपेट दिया करें, कुछ दिनों में शिथिलता दूर होकर सुदृढ़ता आ जायेगी यादि पत्नी नवनीतं मध्ये, लत्ता बलाभाग रसमश्रेय। 602
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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