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स्वास्थ्य अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
6. भोजन के बाद 8 ग्राम जीरे का चूर्ण खाने से स्त्री के स्तनों में दूध बढ़ जाता है।
(173) स्तन पीड़ा व अन्य रोगों का उपाय 1. चमेली के फूलों को गाय के दूध के साथ पीसकर दोनों स्तनों पर चालीस दिन
तक रोज लेप करने से स्तनों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। 2 स्त्रियों के स्तनों पर पीड़ा या सूजन होने पर - हल्दी को पीसकर गंवार पाठा
को चीरकर उस पर हल्दी लगा दें और गर्म करके स्तनों पर सेक करें तथा ऊपर बाँधने से स्तन पीड़ा तथा थानेला रोग मिटता है। 3. इन्द्रायण की जड़ को पीसकर लेप करने से, अथवा हल्दी व धतूरा के पत्तों को
पीसकर लेप करने से स्त्रियों की स्तन पीड़ा मिट जाती है। 4. स्तनों का फोड़ा होने पर - नागरमोथा और दानामेथी दूध में पीस कर लगावें। 5. स्तनों की पीड़ा हेतु- रूपीमस्तंगी और फिटकरी पानी में पीसकर स्तनों पर लगाने ___ से फायदा होता है। 6. स्तन कष्ट नष्ट- हल्दी और धृत कुमारी (गंवारपाठा) के कंद से अथवा __इंद्रायण की जड़ के लेप से स्तन की बीमारियां दूर होकर कष्ट मिट जाता है। 7. स्तन रोग- संखाहुली की जड़ और गाय श्रृंग (सींग) को बांधने से स्तन रोग का नाश होता है।
(174) स्तनों की शिथिलता दूर हेतु नारी की सुन्दरता में स्तनों का सबसे अधिक योगदान है, इसलिए आचार्यों ने कुछ
स्थूल स्तन प्रयोग लिखे हैं। 1. एरेंड का तेल, रेडी का तेल, मूसली का तेल कच्चे बेल का रस, इन सब को
बराबर मात्रा में अच्छी तरह से मिलाकर थोड़ा-थोड़ा हाथ में लेकर स्तनों पर
मालिश करें तो कुछ ही दिनों में स्तन सख्त हो जाएंगे। 2. श्रीपणी (खभाभ) का रस किमभ्यिाँ तैल जो चालीस दिन तक लेप करती है
उसके ढीले और लटके हुए स्तन सख्त हो ऊपर की ओर उठ जाते हैं। 3. गंभीरा के पत्तों का रस और उस रस के बराबर ही तिल का तेल तथा दोनों के
बराबर पानी मिला कर उबालें। जब तेल बाकी रह जाय तो नीचे उतार कर एक शीशी में भर लें, फिर सुबह-सायं दोनों स्तनों पर मालिश करें तो स्तन ढीले,
छोटे और लटके हुए हो तो शीघ्र लाभ होय। 4. वच, अश्वगंधा के पत्ते व गज (बज्ज) पीपल मिलाकर जल में पीसकर विधि
वत् स्तन पर लेप करें तो स्तन आम फल के समान उन्नत हो जाते हैं।
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