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________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 14. जिस स्त्री के मात्र कन्या ही कन्या होती है वह यदि ऋतु समय में ढाक के १ पत्ते को दूध में पीसकर पीवें तो उसके नियम से पराक्रम वाला पुत्र उत्पन्न होगा। 15. पीपल, नागकेशर, सोंठ, कालीमिर्च इन सबको घृत में पीसकर गाय के दूध में पीने से बन्ध्या स्त्री के भी गर्भ धारण करने की स्थिति होकर पुत्र उत्पन्न होता है। 16. बंध्या के भी पुत्र होना- शिरस के फूल को इसके रस घी तथा दूध के साथ पीयें तो अथवा चिरचिता के पुष्पों को भैंस के दूध के साथ पीये तो बंध्या के भी पुत्र होता है। 17. मयूर शिखा अथवा चिरचिता कुनिंब (बकायण) को दूध में मिलाकर शीघ्र पुत्र की उत्पत्ति की इच्छुक स्त्री ऋतुस्नान की हुई यह पीवे । 18. पुत्र उत्पत्ति की इच्छुक स्त्री ऋतुकाल में असगंध की जड़ को पुष्य नक्षत्र में लाकर दूध के साथ पीवें। (167) पुत्री (कन्या ) प्राप्ति 1. कन्या ( पुत्री) प्राप्ति- चावल के धोवन में नींबू की जड़ को बारीक पीसकर नारी को पिला देने के बाद रति करने से कन्या पैदा होती है। 2.पुत्री प्राप्ति- नींबू के वृक्ष की मूल चावल के पानी में एक माह तक पिलावें तो पुत्री हो। (168) गिरता गर्भ रोकना 1. गिरता गर्भ रोकना- गूलर की डाढ़ी के क्वाथ में बराबर शक्कर और साठी धान की पिट्ठी डालकर पिलाने से गिरता हुआ गर्भ रूक जाता है। 2. कपूर, दाख गोरीसर और पठानी लोध को गाय के दूध और शक्कर के साथ पीने से गिरता गर्भ रूक जाता हैं। 3. यदि स्त्री के मृत बालक हो तो उसे बाँस व ताँबे के पैसे औटाकर पिलावे, अन्न न दें। __ (169) गर्भ गिराने के लिए 1. एरड नारियल के पुष्प गूलर के फूल और अण्ढ़ (नागरमोथा) का कल्क बनाकर क्वाथ करके पीने से गर्भ ध्वंस (नष्ट) हो जाता है। 2. लोधी नीलोफर साठी चावल मूलहठी, कपूर गोरीसर (शारिब) के कल्क को पीने से स्त्रीयों का गर्भ ध्वंस हो तुरन्त ही शांत हो जाता है। 3. तिल, काला धतूरा, गिलोय निलोफर मूलहटी के कल्क को पीने से स्त्रियों को गर्भपात का भय जाता रहता है। 593
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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