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________________ स्वास्थ्य अधिकार मुनि प्रार्थना सागर मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र 8. औटाया हुआ भैंस का दूध मिश्री मिलाकर पीने से निद्रा आती है। (127) पित्ति (पिस्ती) रोग 1. आरणा छाणा की राख को सिर पर मर्दन करने से पित्ति मिटती है । 2. नागरबेल के पान के रस में फिटकरी पीसकर लेप करने से पित्ति मिटती है। 3. घृत में कालीमिर्च का चूर्ण पीने से अथवा ताँबा का पैसा मोटा वाला मुँह में रखने से पित्ति मिटती है । (128) प्रमेह और मधुमेह रोग 1. नागरमोथा, त्रिफला, हल्दी, देवदारू, मुर्वा, इन्द्राजौ, लोद इन सबका काढ़ा देने से सब तरह का प्रमेह रोग मिटता है। 2. पक्का गूलर का फल, सेंधानमक के साथ खाने से असाध्य प्रमेह रोग मिट जाता है। 3. कच्ची हल्दी को छीलकर बारीक कतर लो, फिर नमक मशाला लगा कर खावें या साग बनाकर खाने से सुगर (मधुमेह) की सभी प्रकार की बीमारी मिट जाती है। 4. जामुन की गुठली की भस्म मधु प्रमेह को दूर करती है। इसके पत्तों की भस्म भी वही कार्य करती है। (129) मधुमेह रोग 1. हल्दी का चूर्ण पानी के साथ सुबह शाम लेवें मधुमेह ठीक होगा । 2. कपास की गिरी 12.5 ग्राम को अधकुटा करके रात को गर्म पानी में भिगो दें और सुबह पानी को नितराकर उस पानी में 50 ग्राम शर्बत बजूरी मिलाकर पीवें । इससे मधुमेह, बहुमूत्र और कमर दर्द मिट जाता है। 3. केले का रस निचोड़कर 25 ग्राम और कलमीसोरा आधा माशा मिला कर पीने से जलन व सुजाक रोग मिट जाता है । 4. जामुन के हरे पत्ते कोमल देखकर 7.2 ग्राम को बारीक पीसकर छान लें और 62. 5 ग्राम जल में 11 दिन तक पीने से मधुमेह रोग मिटता है । 5. जामुन की गुठली का चूर्ण 4.5 ग्राम दिन में 3 बार पानी से लेने से मधुमेह रोग मिटता है । 6. मधूमेह - ऊँटकटारा (ल्हैया, घोढ़ा, चोढ़ा, उत्कंटो, काटेचुम्बक भी कहते हैं) की जड़ का चूर्ण ३ ग्राम गुड़मार चूर्ण ३ ग्राम गोदुग्ध से लेने पर मधुमेह जड़ से चला जाता है। (130) डायरिया (1) डायरिया - डायरिया में बांस की पत्तियों का काढ़ा पिलायें लाभ होगा । 578
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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