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स्वास्थ्य अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
शक्तुफला शमीर, शिवाफली, लक्ष्मी, छेकुर, छिकुरा,खीजड़ी आदि कहते है) के कोमल पत्तों के रस में ५ ग्राम भुना जीरा, शक्कर तथा गाय का घी मिलाकर चाटना
चाहिए। 20. पेशाब की जलन में- बथुआ के पत्तों का रस २०० ग्राम मिश्री के साथ सेवन करने
से मूत्रकृच्छ दूर होता है। 21. पेशाब में जलन :- आधा कप चावल के मांड में चीनी मिलाकर पीने से पेशाब की
जलन ठीक होती है। 22. पेशाब साफ खुलकर आने हेतु - पुनर्नवा के पत्तों का रस १० ग्राम सुबह-शाम
पीकर ऊपर से धारोष्ठा गो दुग्ध लेना चाहिए इससे मूत्र कृच्छ में आराम मिलता है। 23. बार-बार पेशाब आना- अनार का छिलका पीसकर ४ माशा ताजे जल के साथ दो
बार १० दिन तक खाने से राहत मिलती है। 24. कलमीसोरा 2.4 गाम, नील 2.4 ग्राम लेकर दोनों को पानी में पीसकर नाभि के नीचे
लेप करने से मूत्र खुलकर आता है। 25. मूंगों की भस्म एक रत्ती में मिश्री की चासनी मिलाकर लेने से कफ जन्य मूत्र कृच्छ
रोग मिटता है। 26. गोखरू के एक छटांक क्वाथ में 2.3 ग्राम जवाखार पीने से निश्चय ही पेशाब साफ __ आता है। 28. सफेद मूसली, तालवृक्ष की जड़, छुवारा, पक्का केला इनको दूध में सेवन करने से अति मूत्र रोग मिटता है।
(126) निद्रा रोग पित्ति-रोग 1. पीपलामूल के चूर्ण को गुड़ में खाने से नींद आती है। 2. काक लहरी की जड़ को सिर पर बाँधने से नींद आती है। 3. बैंगन का भरोत्या (भड़ीता) बनाकर मिश्री के साथ खाने से नींद आती है। 4.बकरी के दूध से पाँवों की पगथलियों में मालिश करने से नींद आती है और दाह मिटती है। 5. स्त्री के दूध में थोड़ी कस्तूरी घिसकर आँजने से बहुत दिनों से रही हुई नींद आती
6. कमलगट्टा, सहजना का बीज, नागकेशर इन सबको महीन घोटकर आँखों में आँजने से नींद आती है। 7. थोड़ा जायफल घृत में घिसकर पलकों पर लगाने से निद्रा आती है।
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