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________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर विकार जाते रहते हैं। 11. हींग को जलाकर फिर उसे लेने से वायु विकार शांत होते हैं। 12. हरड़ मोटी, ठण्डे पानी के साथ लेने से पेट के रोग नष्ट हो जाते हैं। यदि दस्त हो तो गरम पानी से बन्द होंगे। 13. अपच- गर्म पानी में लौंग डालकर ठंडा करके दो बार लेवें अपच समाप्त होगा। (82) पेट की धारियां मिटें 1. पेट की धारियां मिटें- गर्भावस्था के दौरान जैतून के तेल से हलके हाथों से प्रतिदिन पेट पर मालिश करे। इससे पेट पर धारियां नहीं पड़ती, जो अकसर शिशु जन्म के बाद दिखाई देने लगती है। (83) कफोदर-रोग१. मिश्री, कालीमिर्च और पीपल के चूर्ण को पानी से पीने से पित्तोदर रोग मिटता है। २. सोंठ, कालिमिर्च, पीपल, जवाखार और सेंधानमक इन सबका चूर्ण गर्म पानी से लेने से सन्निपात का उदर रोग मिटता है। ३. जवाखार, हींग और सोंठयुक्त मन्दोष्ण दूध पीने से उदर महारोग मिटता है। ४. थूहर के दूध से भावित हजार पीपल के सेवन से उदर महारोग का नाश हो जाता है। ५. पेट आदि में शूल चले तो काँसा, पीतल या ताँबे के बर्तन में पानी भरकर फेरने से फायदा होता है। ६. राई व त्रिफला का चूर्ण घृत तथा मिश्री की चासनी में लेने से सर्व प्रकार की पेट शूल मिटती है। ७. हिरण के सींग का पुट पाक बनाकर गाय के घृत के साथ खाने से उदर तथा शूल रोग मिटता है। ८. कूट, वायविडंग को महीन करके ६.४ ग्राम गौमूत्र के साथ लेने से हिया की कृमि और उदर रोग मिटे। (84) पेट की गैस (वायु) १. तुलसी के पत्तों का साग बनाकर खाने से पेट की वायु शमन होती है। २. नारंगी की छाल का क्वाथ पीने से पेट की वायु की पीड़ा मिटती है। ३. वच के साथ सोनामुखी खाने से वायु का गोला मिट जाता है। ४. सोंठ, हींग तथा सेंधानमक की फक्की गर्म जल से लेने से अजीर्ण मिटती है। 560
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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