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________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 8. नागर मोथा, दोनों कटेली, गिलोय, सोंठ का क्वाथ पीने से वात-ज्वर नष्ट होता (25) पित्त ज्वर 1. चावल की खीर के पानी में मिश्री मिलाकर देने से पित्त ज्वर मिटता है। 2. गेहूँ के आटे को पकाकर मिश्री मिलाकर पतला (हरीरा) करके खिलाने से पित्त ज्वर मिटता है। 3. मुनक्का के शरबत में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त ज्वर मिटता है। 4. नागरमोथा, पित्तपापड़ा, चिरायता इनका 12.5 ग्राम (1 तोला) का काढ़ा देने से पित्त ज्वर मिटता है। 5. एक हजार बार धोये घृत को शरीर पर मालिश करने से पित्त-ज्वर शान्त होता 6. पित्त पापड़ा का क्वाथ देने से पित्त ज्वर मिटता है। 7. 1 किलो पानी को ओटाकर तीन पाव पानी रहने तक देने से भी पित्त-ज्वर मिटता है। 8. इद्रायण की जड़ की छाल का चूर्ण 0.1 ग्राम (1 रत्ती) शक्कर मिलाकर खाने से दाह ज्वर मिटता है। 9. बेर के कोमल पत्तों को नीम्बू के रस में पीसकर लेप करने से पित्त-ज्वर मिटता है। 10 सूखे बेर व उसकी जड़ को औटाकर पिलाने से पित्त ज्वर मिटता है। 11. पित्त पापड़ा, लालचन्दन, नेत्रवाला और सोंठ इन सबका क्वाथ देने से पित्त ज्वर मिटता हैं 12. मुनक्का, नागरमोथा, मुलेठी, नीम, कमल, सारिवा का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर मिटता है। 13. धनिया, नीलकमल, नागरमोथा, कमल इन सबका क्वाथ देने से पित्त रोग का ज्वर मिटता है। 14. आक की जड़ का चूर्ण 0.25 ग्राम (2.5 रत्ती) फक्की लेने से पसीना होकर के सब तरह का ज्वर उतर जाता है जिस ज्वर में अत्तयन्त दाह होती है वह भी मिट जाता 15. तुलसी के पत्तों का शर्बत पिलाने से ज्वर सम्बन्धी घबराहट मिटती है। 530
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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