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________________ प्रभावशाली स्वावलम्बी अहिंसात्मक उपचार पद्धतियाँ क्या स्वास्थ्य हेतु समान मापदण्डों का निर्धारण सम्भव है? दुनियाँ में कोई भी दो व्यक्ति सम्पूर्ण रूप से एक जैसे नहीं हो सकते हैं? क्या उनके जीवन का लक्ष्य, प्राथमिकताएँ, कर्त्तव्य, आवश्यकताएँ, समस्याएँ आदि भी एक जैसी ही होती हैं? अतः बाह्य रूप से कुछ लक्षणों में समानता होने के बावजूद, एक जैसी दवा अथवा उपचार करना, किसी एक रोग के नाम से रोगी का परिचय करना, सहयोगी रोगों की उपेक्षा करना कहाँ तक उचित है? जितनी और जैसी रोग की स्थिति, उसके अनुरूप ही समाधान अपेक्षित होता है। जिसकी जितनी बुद्धि विवेक, पात्रता, समझ और क्षमता होती है, उसको उसी के अनुरूप समाधान अथवा परामर्श दिया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति का खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार, आवास- प्रवास, आयु व्यवसाय, कर्त्तव्य एवं जिम्मेदारियाँ, रूचि, स्वभाव, सहनशक्ति, सोच, शारीरिक और मानसिक क्षमता, पारिवारिक एवं व्यावसायिक परिस्थितियाँ, रीति-रिवाज, धार्मिक संस्कार और मान्यताएँ. मौसम की स्थिति और बदलाव, सहयोगी एवं द्वेषी लोगों का योग आदि दैनिक जीवन में ऐसे अनेकों कारण होते हैं जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, व्यक्ति में तनाव अथवा प्रसन्नता का कारण बनते हैं। क्या हमारी भावनाओं, आकांक्षाओं, संकल्पों, विकल्पों, आवेगों, संवेदनाओं, इन्द्रियों के विषयों की ग्रहण शक्ति की विभिन्नता का स्वास्थ्य से संबंध होता है? क्या हमारा मनोबल, सहनशक्ति, उत्साह, सकारात्मक सोच, खुशी के प्रसंग आदि स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं ? विभिन्न इन्द्रियों के माध्यम से ग्रहण किए गए एक जैसे विषय जैसे: देखना, सुनना, बोलना, स्वाद, सुगन्ध, स्पर्श सभी व्यक्तियों पर एक-सा प्रभाव क्यों नहीं डालते? उनके प्रति रूचि अथवा अरूचि क्या हमारे स्वास्थ्य 6
SR No.009380
Book TitleSwadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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