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________________ का आपस में तालमेल होता है? हमारी क्षमता का पूरा उपयोग क्यों नहीं होता ? कभी-कभी कार्य करने में मन लग जाता है तो कभी बहुत प्रयास करने के बावजूद हमारा मन क्यों नहीं लगता? ऐसी समस्त समस्याओं का समाधान स्वर विज्ञान में मिलता है । शरीर की बनावट में प्रत्येक भाग को कुछ न कुछ महत्त्व अवश्य होता है। कोई भी भाग अनुपयोगी अथवा पूर्णतया व्यर्थ नहीं होता । स्वरों का प्रभाव • स्वरों और मुख्य नाड़ियों का आपस में एक दूसरे से सीधा सम्बन्ध होता है । ये व्यक्ति के सकारात्मक और नकारात्मक भावों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो, उसके भौतिक अस्तित्व से सम्बन्धित होते हैं। उनके सम्यक् संतुलन से ही शरीर के ऊर्जा चक्र जागृत और सजग रहते हैं । अन्तःश्रावी ग्रन्थियाँ क्रियाशील होती हैं। चन्द्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी में प्राण वायु का प्रवाह नियमित रूप से बदलता रहता है । सामान्य परिस्थितियों में यह परिवर्तन प्रायः प्रति घंटे के लगभग अन्तराल में होता है, परन्तु ऐसा ही होना अनिवार्य नहीं होता । यह परिवर्तन हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। जब हम अन्तर्मुखी होते हैं, उस समय प्रायः चन्द्र स्वर तथा जब हम बाह्य प्रवृत्तियों में सक्रिय होते हैं तो सूर्य स्वर अधि. ' क प्रभावी होता है। यदि चन्द्र स्वर की सक्रियता के समय हम शारीरिक श्रम के - कार्य करें तो उस कार्य में प्रायः मन नहीं लगता। उस समय मन अन्य कुछ सोचने लग जाता है। ऐसी स्थिति में यदि मानसिक कार्य करें तो, बिना किसी कठिनाई के . वे कार्य सरलता से हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार जब सूर्य स्वर चल रहा हो और उस समय यदि हम मानसिक कार्य करते हैं तो उस कार्य में मन नहीं लगता । एकाग्रता नहीं आती। इसके बावजूद भी जबरदस्ती कार्य करते हैं तो, सिर दर्द होने लगता है। कभी-कभी सही स्वर चलने के कारण मानसिक कार्य बिना किसी प्रयास के होते चले जाते है तो, कभी-कभी शारीरिक कार्य भी पूर्ण रूचि और उत्साह के साथ होते हैं। यदि सही स्वर में सही कार्य किया जाए तो हमें प्रत्येक कार्य में अपेक्षित सफलता सरलता से प्राप्त हो सकती है। जैसे अधिकांश शारीरिक श्रम वाले साहसिक कार्य जिसमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, सूर्य स्वर में ही करना अधिक लाभदायक होता है। सूर्य स्वर में व्यक्ति की शारीरिक कार्य क्षमता बढ़ती है । ठीक उसी प्रकार जब चन्द्र स्वर चलता है. उस समय व्यक्ति में चिन्तन, मनन और विचार करने की क्षमता बढ़ती है। स्वर द्वारा ताप संतुलन जब चन्द्र स्वर चलता है तो शरीर में गर्मी का प्रभाव घटने लगता है। अतः गर्मी सम्बन्धित रोगों एवं बुखार के समय चन्द्र स्वर को चलाया जाये तो बुखार 64
SR No.009380
Book TitleSwadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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